सेतु निर्माण में करोड़ों खर्च के बाद भी सफर में जोखिम

चायल तहसील के अमनी गांव के पास रेलवे क्रासिग पर अंडर ग्राउंड सेतु तो बना दिया गया लेकिन उसके पानी निकासी और छावनी पर ध्यान नहीं दिया गया है। जिससे जरा सी बारिश में ही पुल जलमग्न हो जाता है। लोगों का आवागमन बाधित हो जाता है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार रेलवे विभाग और सेतु विभाग के अधिकारियों से किया लेकिन ग्रामीणों को जलमग्न सेतु के हो रही आवागमन में परेशानी से निजात नहीं मिली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 10:26 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 10:26 PM (IST)
सेतु निर्माण में करोड़ों खर्च के बाद भी सफर में जोखिम
सेतु निर्माण में करोड़ों खर्च के बाद भी सफर में जोखिम

संसू, कसेंदा : चायल तहसील के अमनी गांव के पास रेलवे क्रासिग पर अंडर ग्राउंड सेतु तो बना दिया गया, लेकिन उसके पानी निकासी और छावनी पर ध्यान नहीं दिया गया है। जिससे जरा सी बारिश में ही पुल जलमग्न हो जाता है। लोगों का आवागमन बाधित हो जाता है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार रेलवे विभाग और सेतु विभाग के अधिकारियों से किया लेकिन ग्रामीणों को जलमग्न सेतु के हो रही आवागमन में परेशानी से निजात नहीं मिली है।

दिल्ली-हावड़ा रूट रेलवे लाइन अधिकतर आबादी वाले क्षेत्र से गुजरी है। जिसमें तीन दर्जन से अधिक रेलवे क्रासिंग बनाई गई। इससे ग्रामीणों को खेती कार्य, बाजार आदि आने - जाने के लिए लोग क्रासिंग पर लगे फाटक के खुलने का इंतजार नहीं करते। जल्द बाजी में कहीं से भी लाइन पार करते थे। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपना कीमती समय गंवाना नहीं चाहते थे। जिसे लेकर वे बाइक और साइकिल के साथ रेलवे लाइन पार करते थे। और लोग ट्रेन हादसे का शिकार होते रहते थे। साथ ही दो से अधिक ट्रेनें पास कराने में छोटे वाहन चालकों को भी घंटों गेट खुलने का इंतजार रहता था। इन समस्याओं को देखते हुए रेलवे सेतु निगम ने अंडर ग्राउंड सेतु बनाने का कार्य शुरू किया गया। करोड़ों रुपये लागत से अबतक लगभग दो दर्जन से अधिक पुल बन चुके हैं। और अभी कुछ निर्माणधीन हैं। इसी के तहत कौशांबी जीटी रोड से पन्नोई चरवा जाने वाली मार्ग पर अमिनी गांव के पास पुल बनाया गया है। पन्नोई निवासी राजाराम, बाबू लाल, अमिनी के रोशन लाल, सुमित, छोटे लाल, लोकीपुर के सोमनाथ, भैरव प्रसाद आदि ने बताया कि अपनी गांव के पास स्थित रेलवे क्रासिग पर अंडर ग्राउंड सेतु बना है। जिसके उपर एक तरफ छावनी की गई है। जबकि दूसरी तरफ छावनी नहीं बनाई गई। साथ ही दिवार के ऊपर लगी जाली से बारिश का पानी अंदर चला जाता है। इतना ही नहीं सेतु मार्ग पर पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बारिश का पानी पुल के नीचे मार्ग पर भरा रहता है। जलमग्न रास्ते पर आवागमन पूरी तरह से बाधित हो जाता है। जिससे ग्रामीणों को अन्य जगह से जान जोखिम डालते हुए रेलवे लाइन पार करते हैं। क्षेत्र के लोगों ने रेलवे सेतु निगम के अधिकारियों से शिकायत किया लेकिन अभी तक पानी निकासी और पुल पर छावनी नहीं की गई है।

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