अनाड़ी हाथ में स्कूल वाहन, खतरे में नौनिहालों की जान

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : मानकों की अनदेखी व अनाड़ी हाथों में स्कूल वाहन अब मासूमों की जान के ल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Feb 2017 01:01 AM (IST) Updated:Tue, 28 Feb 2017 01:01 AM (IST)
अनाड़ी हाथ में स्कूल वाहन, 
खतरे में नौनिहालों की जान
अनाड़ी हाथ में स्कूल वाहन, खतरे में नौनिहालों की जान

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : मानकों की अनदेखी व अनाड़ी हाथों में स्कूल वाहन अब मासूमों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। मोटी कमाई के चक्कर में स्कूल संचालक वाहन सुविधा के नाम पर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं लेकिन वाहन के मानक पूरे नहीं कर रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी से बेखौफ चालक नौनिहालों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। सोमवार को रसूलाबाद में स्कूल बस पलटने से एक बार फिर प्रशासनिक तंत्र कठघरे में खड़ा नजर आ रहा है।

रसूलाबाद में सोमवार की सुबह खेड़ाकुर्सी गांव के पास स्कूल बस पलटने से 22 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ दिन पहले झींझक के मनकापुर गांव के सामने स्कूली बच्चों को ले जा रही टेंपो पलट गई थी, जिसमें पांच बच्चे घायल हो गए थे। इसके बाद परिवहन विभाग ने दो चार स्कूल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर औपचारिकता निभा दी। जबकि स्कूलों में जेएसए (टेंपो) तो कहीं वैन से बच्चे ढोए जा रहे हैं। जिले में करीब आठ सौ वाहन स्कूलों में लगे हुए हैं, जबकि परिवहन विभाग में केवल 62 बसें व 10 अन्य वाहन ही स्कूल वाहन के रूप में पंजीकृत हैं। ज्यादातर स्कूलों में प्रबंधन ने ठेके पर वाहनों की व्यवस्था कर रखी है। बच्चों को ले जाने वाले छोटे वाहनों में न तो बैग रखने की व्यवस्था है और न ही व्यवस्थित बैठने की जगह है। खास बात है कि स्कूल वाहन चलाने वाले का लाइसेंस कम से कम पांच वर्ष पुराना होना चाहिए लेकिन यहां तो बिना लाइसेंस ही चालक बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। अकबरपुर व रनियां, सरवनखेड़ा, गजनेर, रूरा, झींझक, रसूलाबाद, जैनपुर में स्कूल समय के दौरान दर्जनों टेंपो, मैजिक व अन्य वाहन बेतरतीब बैठे बच्चों को ढोते नजर आते हैं। लेकिन जिम्मेदार विभाग के लोग शायद आंखें बंद किए हैं।

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जानें क्या हैं स्कूल वाहन के मानक

-स्कूल वाहन का रंग पीला होना चाहिए।

-उसपर स्कूल का नाम व टेलीफोन या मोबाइल नंबर लिखा होना चाहिए।

-अंदर सीट के पास स्कूल बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

-प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था होनी चाहिए।

-वाहन चालक का लाइसेंस कम से कम पांच वर्ष पुराना होना चाहिए।

-वाहन के अंदर अग्निशमन यंत्र मौजूद होना चाहिए।

-वाहन में डीएम व एसपी का नंबर लिखा होना चाहिए।

-बच्चों को लाने ले जाने के समय वाहन में स्कूल का एक अध्यापक व अटेंडेंट होना चाहिए।

-वाहन के पायदान जमीन से नजदीक होने चाहिए ताकि बच्चे आसानी से चढ़ व उतर सके।

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स्कूलों में अनाधिकृत रूप से संचालित वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है। पिछले एक महीने में 45 वाहनों का चालान किया जा चुका है। रसूलाबाद में बस पलटने की जानकारी मिली है। जांच कराई जाएगी, यदि मानक पूरे नहीं थे तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-एसके ¨सह, एआरटीओ प्रवर्तन

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