छुअत सिला भई नारि सुहाई, पाहन ते न काठ कठिनाई

संवाद सहयोगी भोगनीपुर बजरंग रामलीला समिति सुखाई तालाब पुखरायां की ओर से शनिवार को निष

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 09:09 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 09:11 PM (IST)
छुअत सिला भई नारि सुहाई, पाहन ते न काठ कठिनाई
छुअत सिला भई नारि सुहाई, पाहन ते न काठ कठिनाई

संवाद सहयोगी, भोगनीपुर : बजरंग रामलीला समिति सुखाई तालाब पुखरायां की ओर से शनिवार को निषाद राज मिलन, गंगा पार लीला, लीलाओं का मंचन किया गया। दिन के उजाले में रामलीला कलाकारों के गंगा पार लीला के दौरान राम- केवट संवाद लीला का आकर्षक मंचन किया गया।

राम वनवास के दौरान जब रामचंद्र लक्ष्मण व सीता के साथ गंगा पार करने के लिए नदी किनारे जाते है तब उन्होंने गंगा पार करने के लिए केवट को बुलाया और कहा कि तुम अपनी नाव को हम लोगों को गंगा पार करा

दो। इस पर केवट ने कहा कि मांगी नाव न केवट आना, कहइ तुम्हार मरमु मय जाना, छुअत सिला भई नारि सुहाई, पाहन ते न काठ कठिनाई। प्रभु तुम्हारी लीला मैं जानता हूं, तुम्हारे पैर छूने से पत्थर की सिला नारी बन गई थी, मेरी नाव तो काठ की है, मेरी नाव ही मेरे परिवार के जीवकोपार्जन का साधन है यदि मेरी नाव नारी बन गई तो मेरे परिवार के जीवकोपार्जन का साधन छिन जाएगा। यह बात सुनकर रामचन्द्र जी ने केवट को विश्वास दिलाया मैं ऐसा नहीं करूंगा, तब केवट ने कहा कि जौ प्रभु पार अवसि गा चहहू, मोहि पद पदुम पखारन कहहूं। यदि आप गंगा पार जाना चाहते है तो मुझे अपने चरण धो लेने दो, आपके चरण धोने से निकले जल को पीने से मैं और मेरा परिवार भव सागर से पार हो जाएगा। केवट के प्रेममयी वचन सुनकर श्रीरामचंद्रजी ने केवट को अपने व भाई लक्ष्मण व सीता के पैर धोने की आज्ञा दे दी। राम की आज्ञा पाकर केवट ने तीनों लोगों के पैर धुले और फिर उन्हें गंगा पार करवा दी। इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विमल सचान लालू, प्रबंधक गोपाल अग्निहोत्री, गोविन्द मिश्रा, हर्ष गुप्ता, अशोक शर्मा, संजय सचान सभासद, मनोज शुक्ला, बल्लन सचान, संतोष गुप्ता मौजूद रहे। वहीं सिकंदरा में लीला में सीता स्वयंबर का मंचन किया गया। वहीं धनुष टूटने के बाद जनक के दरबार में पहुंचे परशुराम का क्रोध देख सभी राजा भयभीत हो गए। इसके बाद शुरू हुए परशुराम लक्ष्मण संवाद ने सभी को रोमांचित कर दिया। इस दौरान अध्यक्ष नीरज मिश्रा, ब्रजनंदन तिवारी, रामअवतार कुशवाहा, रामजी शुक्ला मौजूद रहे।

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