World Lion Day: 'नंदिनी' की जान बचाने को अमेरिका से आया था दूध, कानपुर चिड़ियाघर में तीन शावकों को दिया जन्म

World Lion Day 2022 कानपुर चिड़ियाघर में 2016 में छत्तीसगढ़ से शेरनी नंदनी को लाया गया था बीमार होने पर उसके लिए अमेरिका से दूध मंगाया। स्वस्थ होने पर उसने तीन शावकों को जन्म दिया इसमें समय चिड़ियाघर में पांच शेर हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 10 Aug 2022 11:48 AM (IST) Updated:Wed, 10 Aug 2022 11:48 AM (IST)
World Lion Day: 'नंदिनी' की जान बचाने को अमेरिका से आया था दूध, कानपुर चिड़ियाघर में तीन शावकों को दिया जन्म
कानपुर चिड़ियाघर में इस समय पांच शेर है।

कानपुर, विवेक मिश्र। वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ के रायपुर से कानपुर चिड़ियाघर में शेरनी नंदिनी लाई गई। उस समय वह बेहद कमजोर थी। उसकी हालत को देखते हुए बचने की उम्मीद न के बराबर थी। तब चिड़ियाघर के चिकित्सकों की सलाह पर अमेरिका से विशेष दूध मंगाया गया।

बिल्ली के बच्चे को पिलाने वाला यह दूध पाउडर

चार माह तक नंदिनी को पिलाया गया। इसका असर यह रहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ नंदिनी ने जिंदगी की जंग जीत ली। अगले ही वर्ष 2017 में उसने दो शावकों शंकर और उमा को जन्म दिया। इसके बाद सुंदरी भी इस परिवार का हिस्सा बनी। अब नंदिनी के बच्चे युवावस्था में पहुंच चुके हैं और वंश बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

दुर्लभ प्रजाति में शामिल व संरक्षित शेरों को कानपुर में गंगा नदी के किनारे स्थित चिड़ियाघर (कानपुर प्राणि उद्यान) का प्राकृतिक वातावरण खूब भा रहा है। यहां का वातावरण प्रजनन के लिए अनुकूल है। बीमारियों से बचाव के लिए शेरों का समय-समय पर टीकाकरण हो रहा है। वन्य जीव अस्पताल के प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डा. अनुराग सिंह, चिकित्सक डा. मोहम्मद नासिर व डा. नितेश कटियार की टीम इनकी देखभाल करती है।

छह साल में ढाई गुणा बढ़ी संख्या

कानपुर प्राणि उद्यान के निदेशक केके सिंह ने बताया कि शेरों को गंगा नदी के किनारे का प्राकृतिक माहौल काफी पसंद आता है। यहां पर केंद्रीय जू प्राधिकरण के मानक के अनुसार शेरों के रहने की सुविधा है। बाड़े में जीवाणुनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जाता है। छह साल में इनकी संख्या ढाई गुणा तक बढ़ी है। वर्तमान में अजय व नंदिनी से जन्मे तीन बच्चे शंकर, उमा और सुंदरी अपने परिवार के साथ यहां दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं।

जंगल के राजा को कीचड़ और पानी से लगता डर

जू कीपर ने बताया कि जंगल के राजा के नाम से पहचाने जाने वाले शेर को कीचड़ व पानी से डर लगता है। वर्षा के दिनों में पैरों में जरा सा भी कीचड़ लग जाने पर वह बाड़े में एक किनारे बैठ जाता है। वर्षा होने पर ये बाड़े से बाहर नहीं निकलते।

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