पूर्व आइआइटीयंस की गोद में खुशहाल होंगे गांव

आइआइटी के 1985 बैच के पुरातन छात्र आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर से मिले और प्लानिंग बताई। छात्रों में उत्तर प्रदेश के एडीजी विजय कुमार भी शामिल हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 01:24 AM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 10:51 AM (IST)
पूर्व आइआइटीयंस की गोद में खुशहाल होंगे गांव
पूर्व आइआइटीयंस की गोद में खुशहाल होंगे गांव
जागरण संवाददाता, कानपुर : अमेरिका, इंग्लैंड समेत अन्य देशों में बसे पूर्व आइआइटीयंस कानपुर के गांवों की दशा और दिशा बदलने के लिए आगे आए हैं। वह अपने ज्ञान, धन और मजबूत इच्छा शक्ति से ग्रामीणों में उद्यमिता विकास करेंगे। गांवों की समस्या को दूर कर सिंचाई, सौर ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण के साधन मुहैया कराएंगे। आइआइटी के 1985 बैच के पुरातन छात्र बुधवार को आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर से मिले और प्लानिंग बताई। पुरातन छात्रों में उत्तर प्रदेश के एडीजी विजय कुमार भी शामिल हैं।
माइक्रो इकोनॉमिक जोन विकसित
पुरातन छात्र पांच गांवों को माइक्रो इकोनॉमिक जोन (सूक्ष्म आर्थिक क्षेत्र) के रूप में विकसित करेंगे। यहां कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाएगा। सब्जी, फल के साथ अन्य फसलों की पैदावार को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उनका मूल्य संवर्धन किया जाएगा।
कौन से गांव हैं शामिल
बैकुंठपुर, सक्सूपुरवा, ईश्वरीगंज, हृदयपुर, प्रतापपुर हरि गांव में वह काम करेंगे। यहां पर पहले से आइआइटी के वैज्ञानिक और छात्र काम कर रहे हैं। इस योजना को मैटीरियल्स एंड मैटलरजिकल इंजीनिय¨रग के प्रो. संदीप संगल संचालित कर रहे हैं।
ओडिशा और बेंगलुरू में कर चुके काम
पुरातन छात्र ओडिशा और बेंगलुरू में सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में काम कर चुके हैं। इसमें अशोक दास, अतुल भटनागर, आशीष श्रीवास्तव, गिरीश कुमार, निखिल निगल, विजय कुमार आदि शामिल हैं। इसमें कई लोग विदेश में हैं जबकि विजय कुमार यूपी पुलिस में एडीजी हैं।
ग्रामीणों से पूछेंगे समस्या
सबसे पहले ग्रामीणों की समस्याएं पूछी जाएंगी। उन्हें किस क्षेत्र में सबसे अधिक दिक्कत आ रही है, उसी दिशा में काम किया जाएगा।
आइआइटी के छात्र करेंगे शोध
पुरातन छात्रों के सहयोग से आइआइटी में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं ग्रामीण क्षेत्रों में शोध कर सकेंगे। इससे उन्हें जमीनी स्तर पर समस्याओं की जानकारी मिलेगी और गांवों का विकास भी होगा। आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर का कहना है कि आइआइटी के पुराने छात्रों के सहयोग से कानपुर के पांच गांवों में काम किया जाएगा। संस्थान भी तकनीक विकसित करने के साथ ही वहां दिशा और दशा बदलने में काम करेगा।
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