रेरा में ट्रांस गंगा सिटी का पंजीयन न कराकर फंसा यूपीसीडा, दस फीसद तक अर्थ दंड

उन्नाव की ट्रांसगंगा सिटी परियोजना का रेरा में पंजीकरण नहीं है। इसका रेरा में पंजीकरण न कराना उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण (यूपीसीडा) को महंगा पड़ने वाला है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 03 Dec 2019 11:42 PM (IST) Updated:Tue, 03 Dec 2019 11:42 PM (IST)
रेरा में ट्रांस गंगा सिटी का पंजीयन न कराकर फंसा यूपीसीडा, दस फीसद तक अर्थ दंड
रेरा में ट्रांस गंगा सिटी का पंजीयन न कराकर फंसा यूपीसीडा, दस फीसद तक अर्थ दंड

कानपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार की बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना उन्नाव की ट्रांसगंगा सिटी परियोजना का रेरा में पंजीकरण नहीं है। इसका रेरा में पंजीकरण न कराना उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण (यूपीसीडा) को महंगा पड़ने वाला है। 

एक आवंटी की सुनवाई में रेरा अध्यक्ष ने यूपीसीडा पर कार्यवाही के आदेश जारी कर दिए हैं। अब यूपीसीडा को न केवल पंजीयन कराना पड़ेगा बल्कि परियोजना लागत के दस फीसद तक आर्थिक दंड भी झेलना पड़ सकता है। उधर, खुद को रेरा के दायरे से बाहर मानने वाला यूपीसीडा पहले ही इस मुद्दे पर ट्रिब्यूनल जा चुका है।

मामले में ट्रांस गंगा सिटी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष दीपक द्विवेदी ने उप्र भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (उप्र रेरा) अध्यक्ष के समक्ष वाद दाखिल कर कहा था कि उन्होंने उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसआइडीसी जो अब यूपीसीडा है) की इस परियोजना में भूखंड के लिए 36 लाख रुपये जमा किए, वर्ष 2016 तक उन्हें कब्जा दिया जाना था। यह रेरा में पंजीकृत नहीं है और उन्हें अभी तक कब्जा भी नहीं मिला है। परियोजना का निर्माण कार्य भी नहीं हो रहा है।

रेरा अध्यक्ष राजीव कुमार ने सुनवाई के बाद पाया कि यूपीएसआइडीसी (अब यूपीसीडा) ने परियोजना का पंजीयन न कराना अधिनियम की धारा तीन का उल्लंघन है जो धारा 59 के तहत कुल परियोजना लागत के दस फीसद धनराशि तक दंडनीय है। पूर्व में रेरा सचिव इस संबंध में आदेश भी कर चुके हैं। अध्यक्ष ने वादी को नियमानुसार करीब 10 फीसद की दर से जमा किए गए धन का ब्याज अदा करने और कब्जा दिलाने का भी आदेश दिया है। अध्यक्ष ने रेरा सचिव को यूपीसीडा पर धारा तीन, चार एवं 15 के उल्लंघन करने के कारण कार्यवाही के आदेश दिए हैं। हालांकि यूपीसीडा की ओर से इस आदेश का पालन करने की उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आ रही है क्योंकि वह पहले ही ट्रिब्यूनल में जाकर खुद को रेरा के दायरे से बाहर होने की अपील कर चुका है। इसलिए ट्रिब्यूनल के आदेश से पहले यूपीसीडा अफसर यह आदेश मानेंगे, इसकी गुंजाइश बेहद कम है।

करोड़ों का भरना पड़ेगा जुर्माना

यूपीसीडा की ट्रांसगंगा सिटी परियोजना करीब 2500 करोड़ रुपये की है। ऐसे में यदि रेरा ने 10 की बजाय पांच फीसद भी जुर्माना लगाया तो तो यूपीसीडा को सौ करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना पड़ सकता है। इसके अलावा आवंटियों को ब्याज के रूप में जो जुर्माना भरना पड़ेगा। वह उसे और भी महंगा पड़ेगा।  

chat bot
आपका साथी