रोटी की कमाई से बुझेगी पेट की आग

जिंदगी की गाड़ी मजे से चल रही थी। कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी और रोजी पर डाका डाला। लॉकडाउन में सैलून बंद हुआ तो जमा पूंजी भी खत्म हो गई। मंगलवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वाया कानपुर होते हुए वापस लौटे सर्वेश के सामने रोजी-रोटी के साथ बच्चों के भविष्य संवारने का संकट है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 01:54 AM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 06:07 AM (IST)
रोटी की कमाई से बुझेगी पेट की आग
रोटी की कमाई से बुझेगी पेट की आग

महेश शर्मा, घाटमपुर

जिंदगी की गाड़ी मजे से चल रही थी। कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी और रोजी पर डाका डाला। लॉकडाउन में सैलून बंद हुआ तो जमा पूंजी भी खत्म हो गई। मंगलवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वाया कानपुर होते हुए वापस लौटे सर्वेश के सामने रोजी-रोटी के साथ बच्चों के भविष्य संवारने का संकट है। कहते हैं, कब तक खाली बैठेंगे। पेट की आग बुझाने के लिए रोटी तो कमानी ही होगी।

भीतरगांव विकास खंड के गांव निवादा भरथुआ निवासी सर्वेश आठ वर्ष पहले पत्‍‌नी सुमन और पुत्र कृष के साथ जीविका की तलाश में उदयपुर गए थे। कुछ माह भटकने के बाद शहर के बड़े सैलून में काम मिल गया। छोटे बेटे ऋषि व पुत्री महक के जन्म से परिवार बढ़ा। बेटा उदयपुर के एक विद्यालय में पढ़ाई कर भविष्य के सपने बुनने लगा। इसी बीच कोरोना संकट शुरू हुआ और नौकरी चली गई। दो माह की बेरोजगारी ने जमा-पूंजी खत्म कर दी। मौका मिलते ही गांव चला आया, लेकिन घर पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। ऐसे में पड़ोसी के तबेले वाले छप्पर के नीचे गृहस्थी सजाई। राशन कार्ड न होने के चलते राशन भी नहीं मिल सका। लॉकडाउन खुले तो फिर रोजी-रोटी की जुगाड़ करें।

(फोटो: 28जीटीएम-1 या 2) लॉकडाउन ने ले ली पत्‍‌नी की जान

सूरत के आसापुरी एरिया की धागा मिल में काम कर जीविका चलाने वाले अमर सिंह निषाद लॉकडाउन के चलते 20 अप्रैल को पत्नी शिवदेवी व छह वर्षीय पुत्री लक्ष्मी के साथ यमुना तटवर्ती पैतृक गाव रामपुर लौटे थे। तकरीबन 50 किमी पैदल चले, इसके बाद ट्रक में सवार हुए। गांव पहुंचते ही पत्‍‌नी की तबीयत बिगड़ गई। लॉकडाउन की वजह से पत्‍‌नी को कानपुर नहीं ले जा सके। झोलाछापों ने इलाज किया और कुछ दिन बाद ही पत्‍‌नी की मौत हो गई। अमर सिंह बताते हैं कि अब छह वर्षीय पुत्री लक्ष्मी के पालन पोषण की भी जिम्मेदारी है। मदद का राशन भी नहीं मिला। मकान जर्जर है। लॉकडाउन खुले तो दोबारा सूरत जाकर नौकरी करें।

(फोटो: 28जीटीएम-3 या 4)

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