संघ प्रमुख मोहन भागवत ने माइक्रो फैमिली की सोच और पनप रही विसंगतियों पर जताई चिंता

कानपुर प्रांत की दो दिवसीय बैठक में दूसरे दिन सर संघ चालक ने कहा- परिवार में प्रारंभ काल से ही संस्कार निर्माण की योजना बनाई जाए।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 11 Sep 2020 05:46 PM (IST) Updated:Fri, 11 Sep 2020 05:48 PM (IST)
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने माइक्रो फैमिली की सोच और पनप रही विसंगतियों पर जताई चिंता
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने माइक्रो फैमिली की सोच और पनप रही विसंगतियों पर जताई चिंता

कानपुर, जेएनएन। संयुक्त परिवार से एकल परिवार और अब माइक्रो फैमिली की सोच और उससे पैदा हो रही विसंगतियों पर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि परिवार असेंबल की गई इकाई नहीं प्रकृति प्रदत्त सरंचना है। इसे सुरक्षित रखना और इसका संरक्षण करना हमारा दायित्व है। इसलिए परिवार में प्रारंभ काल से ही संस्कार निर्माण की योजना बनाई जानी चाहिए।

कानपुर प्रांत की बैठक में प्रांतीय पदाधिकारियों से कुटुंब प्रबोधन के संबंध में हो रहे कार्यों की जानकारी लेने के बाद उन्होंने कहा कि परिवार की कल्पना बहुत विस्तृत है। परिवार केवल पति, पत्नी और बच्चे नहीं हैं। परिवार में बुआ, चाचा, चाची, दादा, दादी आदि भी शामिल हैं। ये सभी प्राचीन काल से हमारी परिवार संकल्पना में साथ रहे हैं। इन सभी रिश्तों को निभाने के लिए परिवार में बच्चों के लिए प्रारंभ काल से ही संस्कार निर्माण करने की योजना होनी चाहिए। बच्चों में छोटे से ही अतिथि देवो भवः का भाव उत्पन्न करना चाहिए। जब ऐसा होगा तभी वे रिश्तों को ठीक से समझेंगे। घरों में महापुरुषों के चित्र लगाए जाने चाहिए। साथ ही उनकी कहानियां और संस्मरण बच्चों को सुनाए जाने चाहिए। इससे बच्चे उनकी प्रेरक करने वाली बातों से हमारी संस्कृति के बारे में जानेंगे।

उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि कोई भी सामाजिक या धार्मिक संगठन अगर देश हित या प्रकृति हित में कार्य करता है तो उन्हें भी उसमें आगे आकर अपना सहयोग देना चाहिए। पिछले माह के अंत में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रकृति वंदन कार्यक्रम की उन्होंने सराहना की। इस कार्यक्रम को संघ प्रमुख ने भी ऑनलाइन संबोधित किया था।

सामाजिक समरसता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है जिसमें श्रेष्ठ, महान तथा देशभक्त लोगों ने जन्म नही लिया। मंदिर, श्मशान और जलाशय पर सभी जातियों का समान अधिकार है। महापुरुष केवल अपने श्रेष्ठ कार्यों से महापुरुष हैं और उनको उसी नजर से देखने का भाव बनाए रखना है। उन्होंने गौ आधारित कृषि को महत्व देने की बात कही। शुक्रवार को प्रांतीय बैठक का दूसरा व अंतिम दिन था, जिसमें प्रांत स्तर के पदाधिकारी मौजूद रहे। शनिवार सुबह संघ प्रमुख लखनऊ रवाना हो जाएंगे।

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