डेंगू से मर रहे लोग,अफसर बता रहे स्थिति सामान्य
जागरण संवाददाता कानपुर जिले में मच्छरों का जबरदस्त कहर है। शहर से लेकर गांव तक हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : जिले में मच्छरों का जबरदस्त कहर है। शहर से लेकर गांव घर तक डेंगू और बुखार के लक्षण वाले मरीज हैं। मौतें भी हो रहीं हैं, फिर भी अधिकारी स्थिति सामान्य बता रहे हैं। हद तो यह है कि घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा की ब्रीडिग न समय से चेक कराई गई और न ही उसे नष्ट कराया। डोमेस्टिक ब्रीडिग चेकर (डीबीसी) मई की जगह डेंगू फैलने पर सितंबर में रखे गए। इसका खामियाजा जनता भुगत रही है।
डेंगू से निपटने की तैयारी एवं कार्य योजना हर साल मई-जून में बनती थी। इस बार कोरोना के फेर में डेंगू पर ध्यान ही नहीं दिया गया। मच्छरों को नियंत्रित करने के उपाए नहीं किए गए। लार्वा की ब्रीडिग से लेकर नष्ट कराने और एंटी लार्वा स्प्रे भी नहीं कराया गया। शहरी मलेरिया इकाई की कमान संभालने वाले अधिकारी कोरोना जांच में ही लगे रहे। अब मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। बुखार, डेंगू एवं मलेरिया के लक्षण वाले मरीज सरकारी अस्पतालों से लेकर नर्सिंग होम में इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं। फिर भी महकमे के अधिकारी शांत बैठे हैं।
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लार्वा चेक करने को 240 डीबीसी
वर्ष 2019 में डेंगू के कहर को देखते हुए पूर्व जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देव सिंह ने संयुक्त निदेशक वेक्टर बार्न को समस्या बताई थी। इस पर हर वार्ड में चार-चार डीबीसी रखने की अनुमति मांगी की थी। शासन ने उसके हिसाब से 240 डीबीसी आउटसोर्सिंग पर रखने की अनुमति प्रदान की थी। मई में रखने की जगह सितंबर में डीबीसी रखे गए हैं। इसके लिए शासन से पहले ही 41 लाख 11 हजार रुपये बजट मिल गया था।
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बजट की भी नहीं दी जानकारी
शासन ने समय से बजट मिलने के बाद भी सीएमओ के मातहतों ने सही जानकारी नहीं दी। इस पर सीएमओ ने जिला प्रशासन के माध्यम से दोबारा शासन को रिमाइंडर भेज दिया, जिससे शासन ने विस्तार से बजट के बारे में जानकारी दी है।