Mulayam Singh Yadav: 15 Points में पढ़ें नवंबर 1939 से अक्टूबर 2022 तक पूरा सफरनामा, देखें- यादगार तस्वीरें

Mulayam Singh Yadav उत्तर प्रदेश की राजनीति में पुरोधा रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। कुश्ती में माहिर एक पहलवान ने राजनीति में भी अपने दांव-पेंच से विरोधियों को हमेशा चित किया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 10 Oct 2022 09:09 PM (IST) Updated:Mon, 10 Oct 2022 09:09 PM (IST)
Mulayam Singh Yadav: 15 Points में पढ़ें नवंबर 1939 से अक्टूबर 2022 तक पूरा सफरनामा, देखें- यादगार तस्वीरें
मुलायम सिंह यादव के जीवन का सफरनामा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के साथ राजनीति के एक युग का अंत हो गया। किसान परिवार में जन्मे और पहलवानी के दांव-पेंच में माहिर एक शिक्षक ने प्रदेश की बागडोर संभालकर नई दिशा देने का प्रयास किया और प्रदेश की राजनीति में कीर्तिमान स्थापित किए। पढ़िए उनके जीवन से जुड़ी 15 बातों में पूरा सफरनामा..।

इटावा जनपद के सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह पिता स्व. श्री सुघर सिंह एवं स्व. मूर्ति देवी के पुत्र थे। 15 वर्ष की आयु में सामाजिक कार्याें में सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी। डा. राम मनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए।

इटावा के कर्म क्षेत्र पीजी कालेज से बीए, शिकोहाबाद के एके कालेज से बीटी और आगरा विश्वविद्यालय के बीआर कालेज से राजनीति विज्ञान से एमए की शिक्षा पूरी की। मुलायम सिंह कुश्ती के भी माहिर पहलवान थे और अखाड़े में अपने धोबी पछाड़ दांव के कारण विख्यात थे।

मैनपुरी के करहल के जैन इंटर कालेज में शिक्षक के पद पर कार्य किया। नौकरी छोड़कर 1980 में उत्तर प्रदेश लोकदल के अध्यक्ष बने, जो बाद में जनता दल का एक घटक दल बना।

आपातकाल के समय 19 माह के लिए जेल में भी रहे। जसवंतनगर सीट से पहला चुनाव लड़ा और फिर यहां से सात बार विधायक बने। जनता दल (समाजवादी) से अलग होकर 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीन बार बने, पहली बार 1989 में, फिर 1993 में सपा-बसपा गठबंधन और 2003 में पांच साल तक। केंद्र की राजनीति में प्रवेश किया और 1996 में देश के रक्षा मंत्री बने और 19 मार्च 1998 तक कार्यकाल पूरा किया।

वर्ष 2012 में अस्वस्थ होने पर बेटे अखिलेश यादव को पार्टी की बागडोर सौंप दी। दो शादी की, पहली पत्नी मालती देवी के निधन के बाद साधना यादव को पत्नी स्वीकार किया।

दो पुत्रों में मालती देवी से अखिलेश यादव और साधना देवी से प्रतीक यादव हैं।

बचपन के पहलवानी के शौक के चलते मुलायम सिंह Mulayam Singh Yadav को दंगल लड़ते हुए देखने के बाद 1957 में लोहिया की प्रजातंत्र सोशलिस्ट पार्टी से प्रत्याशी रहे चौधरी नत्थू सिंह यादव सक्रिय राजनीति में लाए थे। मुलायम सिंह भी उन्हें अपना गुरु मानते थे।

यह भी पढ़ें :- बारिश में 10 सेकेंड के अंदर भरभराकर ढह गया दो मंजिला जर्जर मकान, मलबे में दबी कार और मची भगदड़, देखें-वीडियो

chat bot
आपका साथी