आपका बच्चा कहीं इस बीमारी की चपेट में तो नहीं, अगर ये लक्षण है तो हो जाएं सावधान

बच्चों को हो रही गेमिंग डिस्आर्डर की बीमारी चाइल्ड साइकोलॉजी विभाग के अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली हकीकत।

By AbhishekEdited By: Publish:Sun, 09 Jun 2019 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 10 Jun 2019 09:40 AM (IST)
आपका बच्चा कहीं इस बीमारी की चपेट में तो नहीं, अगर ये लक्षण है तो हो जाएं सावधान
आपका बच्चा कहीं इस बीमारी की चपेट में तो नहीं, अगर ये लक्षण है तो हो जाएं सावधान

कानपुर, [अभिषेक अग्निहोत्री]। अनजाने में आपका बच्चा एक गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहा है और आपको इसकी खबर तक नहीं लग रही है। मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड साइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं और डॉक्टरों ने इसे गेमिंग डिस्ऑर्डर का नाम दिया है। अगर आपका बच्चा सारा दिन मोबाइल पर गेम खेल रहा है तो अभी से सतर्क हो जाएं।

जानलेवा हो चुके हैं मोबाइल गेम

मोबाइल गेम बच्चे के लिए कितना खतरनाक हो सकता है, शायद इसका अंदाजा भी आपको न हो। पहले ब्लू व्हेल फिर मोमो चैलेंज और अब पबजी, ये मोबाइल गेम बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। हाल ही में मध्यप्रदेश और बिहार में पबजी गेम खेलते हुए दो बच्चों की जान चली गई। मध्यप्रदेश के नीमच में 12वीं का छात्र फुरकान छह घंटे से लगातार मोबाइल पर पबजी गेम खेल रहा था, अचानक वह कहा 'ब्लास्ट हो गयाÓ और गश खाकर गिर पड़ा। परिजन उसे अस्पताल ले गए लेकिन हार्ट अटैक से उसकी मौत हो चुकी थी। इसी तरह बीती गुरुवार की रात बिहार भागलपुर के हबीबपुर दाउदबाट में गुरुवार की देर रात को पबजी गेम खेलते खेलते अचानक आहत हुए पीयूष कुमार (17) ने फांसी लगाकर खुदकशी कर ली। इंटर की परीक्षा देने के बाद वह घर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। परिजनों का कहना है वह मोबाइल पर घंटों पबजी गेम खेलता था।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

केस एक : सिविल लाइंस में 14 साल का किशोर मां से अक्सर मारपीट करता है। पिता जयपुर में रहते हैं। दिन भर मोबाइल में लगा रहता है। स्कूल और कोचिंग से कन्नी काटता है।

केस दो : कल्याणपुर में सब इंस्पेक्टर का 11 साल का बेटा स्कूल जाने से कतराता है। पेट दर्द, बुखार, कमजोर, उल्टी आने का बहाना बनाता है। ज्यादा समय मोबाइल पर व्यस्त रहता है।

अगर आपका बच्चा खाना खाने के लिए, सोने और पढ़ाई करने से पहले मोबाइल देखने की जिद करता है तो सावधान हो जाएं। यह जिद उसके लिए खतरनाक हो सकती है। उनमें गुस्सा, नाराजगी, रुठना, काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ापन देखने को मिल रहा है तो संभव है कि वह गेमिंग डिस्आर्डर की चपेट में आ रहा है। ऐसे सावधान हो जाएं और उसे मनो विशेषज्ञ के पास ले जाएं। बच्चे को दोस्ताना व्यवहार करते हुए समझाने का प्रयास करें।

चाइल्ड साइकोलॉजी विभाग ने किया अध्यन

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अंतर्गत चाइल्ड साइकोलॉजी के विशेषज्ञों ने कई छात्र-छात्राओं पर अध्ययन किया है। कई केस साइकोलॉजी की ओपीडी में भी आ रहे हैं, जिनकी काउंसिलिंग जारी है। अध्ययन की रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता के मुताबिक बच्चों को प्यार से समझाएं, उनके सामने स्वयं मोबाइल न चलाएं। उनके साथ बातचीत, घूमना, सैर करना, व्यायाम करने की आदत डालें।

बच्चों में ये आ रही समस्याएं घरवालों से भावनात्मक संबंध नहीं बना रहे हैं। झूठ बोलना, बहानेबाजी की आदत। स्कूल और अन्य क्रियाकलापों से जी चुराना। बेवजह और मारपीट की बातें करना। हर इच्छाएंपूरी होने की ख्वाहिश। देर रात तक जागना, देर से सोकर उठना। 

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