UP के पांच शहरों में लॉकडाउन की आशंका पर शुरू हुआ कानपुर से घर वापसी का दौर, पढ़िए- क्या बोले प्रवासी

Lockdown in UP सोमवार शाम हाईकोर्ट ने योगी सरकार को लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही शहर में एक अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। ऐसे में कई प्रवासियों ने घर वापसी की योजना बनाई और रवाना होने लगे।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:10 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:10 AM (IST)
UP के पांच शहरों में लॉकडाउन की आशंका पर शुरू हुआ कानपुर से घर वापसी का दौर, पढ़िए- क्या बोले प्रवासी
रामादेवी हाईवे पर ट्रक से रवाना होते हुए लोगों की फोटो।

कानपुर, जेएनएन। Lockdown in UP एक दिन के साप्ताहिक लॉकडाउन ने तो भूखा मार दिया। अब और अधिक दिन यहां रुके तो परेशानियां बढ़ेंगी। अभी तो वाहन चल रहे हैं, आसानी से घर पहुंच जाएंगे नहीं तो बाद में दिक्कत होगी। यह दर्द था आजमगढ़ के सरायमीर निवासी सुनील यादव का।

सुनील काकादेव स्थित एक हाॅस्टल में रहकर मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सुनील के मुताबिक उसके साथ नौ साथी हॉस्टल में रहते थे। सभी लॉकडाउन होने की आशंका के चलते अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो चुके हैं। पहले तो वापस घर जाने का कोई विचार नहीं था, लेकिन रविवार को प्रथम साप्ताहिक लॉकडाउन में हास्टल में टिफिन नहीं आया। इससे खाना नहीं मिला। सुनील का कहना था कि ग्राउंड फ्लोर में कुछ सीनियर साथी रहते हैं। उन लोगों ने चने दिए, जिसे खाकर पेट भरा। सुनील का कहना है कि अगर लाॅकडाउन में यहां रहा तो भूखा मर जाऊंगा। इस लिए घर वापस लौटने से बेहतर कोई दूसरा रास्ता नहीं है। सुनील ने बताया कि मास्क तो जरूरी है ही, एहतियातन कुछ दवाएं और सैनिटाइजर लेकर चला हूं।

दो-दो हजार रुपये देकर कंटेनर से आए: भागलपुर निवासी रामकेश, नफीस, संतोष ने बताया कि वह लोग अहमदाबाद की फैक्ट्री में काम करते हैं। कोरोना से हालात खराब हैं। काम न होने से वहां रहकर कितने दिन बैठकर खाते? दो-दो हजार रुपये किराया देकर कंटेनर से यहां आए हैं। कोरोना से बचाव और सुरक्षा के बारे में पूछने पर सभी का कहना था कि दवा पर खर्च कहां से करते। कंपनी में काम के दौरान जो सैनिटाइजर दिया गया था, उसी से काम चल रहा है। रास्ते में ही केवल परेशानी हैं। एक बार घर पहुंच गए फिर दिक्कत नहीं होगी।

टैंकर वाले ने लिया 21 सौ रुपये किराया: फतेहपुर खागा निवासी अब्दुल नफीस व इमरान चाचा भतीजा हैं। दोनों अहमदाबाद के एक प्लांट में काम करते थे। अब्दुल नफीस ने बताया कि नाइट कर्फ्यू वहां भी लागू है। 21 सौ रुपये एक व्यक्ति का किराया टैंकर वाले ने लिया है। परिवार में गमी हो गई थी। प्लांट न चलने से घर तो लौटना ही था। अब आ गए हैं वापसी का अभी इरादा नहीं है।

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