माय सिटी माय प्राइडः प्रस्तुति फाउंडेशन दे रहा मां को संबल और बच्चों को शिक्षा

संस्थापक अध्यक्ष ने बताया कि संस्था में अधिकांश सदस्य महिलाएं ही हैं। अभिभावक की तरह हर बच्चे का जिम्मा एक महिला सदस्य को सौंपा गया है।

By Nandlal SharmaEdited By: Publish:Fri, 28 Sep 2018 08:36 AM (IST) Updated:Fri, 28 Sep 2018 08:36 AM (IST)
माय सिटी माय प्राइडः प्रस्तुति फाउंडेशन दे रहा मां को संबल और बच्चों को शिक्षा

इस शहर में वाकई 'बड़े दिल' वालों की कमी नहीं है। सोशल रेस्पांसिबिलिटी यानी सामाजिक दायित्व सिर्फ कॉरपोरेट घराने ही नहीं निभा रहे, बल्कि कई संस्थाएं अपने-अपने संसाधनों से समाज की सेवा कर रही हैं। कोई गरीबों को स्वास्थ्य, कोई शिक्षा तो कोई कुछ सुविधा देकर अपना सेवा-भाव पूरा करता है।

मगर, इन सबके बीच प्रस्तुति फाउंडेशन ने सेवा की अनूठी ही प्रस्तुति समाज के बीच रखी है। महिलाओं की किटी में से निकले विचार इतने बड़े सरोकार बन गए कि आज यह संस्था एकल जीवन जी रही महिलाओं के लिए संबल है, क्योंकि उनके बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाया जा रहा है। सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बच्चों की खुशियों और जीवन स्तर में सुधार के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।

तीन साल में गोद लिए 57 बच्चे
प्रस्तुति फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी अनुराग हैं। उन्होंने बताया कि पहले हम सभी परिचित महिलाएं किटी डालती थीं और पार्टी में पैसा खर्च कर देते थे। तीन साल पहले घर में शिवरात्रि पर भजन-कीर्तन था। तब सभी ने मिलकर विचार किया कि हम ऐसा भी काम करें, जिससे दूसरों की मदद हो। तब एक किटी सेवा के नाम पर डाली जाने लगी।

डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि हम समाज में तलाकशुदा, विधवा या किसी वजह से एकल जीवन जी रही महिलाओं को परेशान होते देखते ही हैं। इसीलिए तय किया कि एकल जीवन जी रही महिलाओं के बच्चों की शिक्षा का खर्च संस्था उठाएगी। तीन साल में हम शहर के विभिन्न क्षेत्रों के 57 बच्चों को गोद ले चुके हैं। वह जब तक पढ़ना चाहेंगे, उनकी फीस, कॉपी-किताबें, कपड़े, दवा आदि का खर्च प्रस्तुति फाउंडेशन ही वहन करेगा।

बस्ती-बस्ती जाकर ढूंढ़ते जरूरतमंद
डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि संस्था की वर्तमान अध्यक्ष मधु मलिक, सचिव अमित अग्रवाल और कोषाध्यक्ष राजेंद्र तनेजा हैं। उन्होंने बताया कि हम अलग-अलग बस्तियों में जाकर स्थानीय लोगों से जानकारी जुटाते हैं कि उनके क्षेत्र में क्या कोई ऐसी मजबूर महिला रहती है। फिर निर्धारित तिथि पर वहां शिविर लगवाकर फॉर्म भरवाते हैं और वास्तविक जरूरतमंद चुनकर उनके बच्चों को गोद ले लिया जाता है। बस्ती के पास ही के किसी अच्छे स्कूल में उनका दाखिला करा दिया जाता है।

हर बच्चे की जिम्मेदारी एक महिला सदस्य को
गोद लेने के साथ ही संस्था सदस्यों में उन बच्चों के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी है। संस्थापक अध्यक्ष ने बताया कि संस्था में अधिकांश सदस्य महिलाएं ही हैं। अभिभावक की तरह हर बच्चे का जिम्मा एक महिला सदस्य को सौंपा गया है। इसके अलावा त्योहार पर बच्चों और उनकी मां को बुलाकर पार्टी देते हैं। सर्दी-गर्मी के कपड़े भी वितरित करते हैं। हर माह स्वास्थ्य शिविर संस्था की ओर से लगाया जाता है।

chat bot
आपका साथी