‘छोटू’ पर छोड़िए पानी की शुद्धता, महज दो रुपये में एक लीटर पानी करेगा साफ

आइआइटी कानपुर ने एक ऐसा छोटा पैकेट तैयार किया है जो आंखों से न दिखने वाले पानी में घुलनशील क्रोमियम निकिल व कॉपर जैसी भारी धातुओं को पलक झपकते ही खत्म कर देगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 04 Nov 2019 11:46 AM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 11:50 AM (IST)
‘छोटू’ पर छोड़िए पानी की शुद्धता, महज दो रुपये में एक लीटर पानी करेगा साफ
‘छोटू’ पर छोड़िए पानी की शुद्धता, महज दो रुपये में एक लीटर पानी करेगा साफ

[विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर]। आप किसी बेहद पिछड़े गांव में हैं, जहां फिल्टर किया पानी मयस्सर नहीं है तो फिक्र न करें। टी-बैग नुमा ‘क्लियर बॉटल’ यानी छोटा पैकेट’ है न। एक लीटर पानी में पैकेट घुमाते ही अशुद्धियां खत्म और आप बेफिक्र होकर प्यास बुझाएं। आइआइटी कानपुर ने एक ऐसा छोटा पैकेट तैयार किया है जो आंखों से न दिखने वाले पानी में घुलनशील क्रोमियम, निकिल व कॉपर जैसी भारी धातुओं को पलक झपकते ही खत्म कर देगा।

एक लीटर पानी साफ करने का खर्च महज दो रुपये आएगा। अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर आइआइटी के अर्थ साइंस विभाग के प्रो. इंद्रसेन ने पानी शुद्ध करने वाला यह बैग बनाया है। छह माह शोध के बाद तैयार हुए इस स्माल बैग का परीक्षण पूरा हो चुका है। आइआइटी की प्रयोगशाला के बाद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंप, नल व जमीन के अंदर से निकाले जाने वाले पानी में इसका परीक्षण किया गया। करीब महीने भर तक किए गए परीक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

जैविक पदार्थों से किया तैयार

प्रो. इंद्रसेन ने बताया कि पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए बनाए गए इस बैग में केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जैविक पदार्थों से बनाया गया बैग प्राकृतिक तरीके से पानी साफ कर उसके अंदर जरूरी तत्वों को हानि नहीं पहुंचाता। इससे पानी के स्वाद में भी कोई फर्क नहीं आता है। हालांकि, पेटेंट न होने की वजह से उन्होंने जैविक पदार्थों के नाम नहीं बताए।

छह महीने में आम आदमी तक पहुंच जाएगा यह पैकेट

आइआइटी में बनाया गया पानी शुद्ध करने का यह छोटा पैकेट छह माह में आम आदमी तक पहुंच सकता है। प्रो. इंद्रसेन ने बताया कि इसकी कीमत कम होने के कारण यह सभी की पहुंच में होगा। लोग इस सस्ती तकनीक से अपने घर में पीने का पानी शुद्ध कर सकेंगे।

अशुद्ध पानी के कारण होती हैं कई बीमारियां

पानी में मौजूद अशुद्धियां बीमारी की एक बड़ी वजह बनती हैं। दुनिया में हर साल करीब सवा करोड़ लोगों की मृत्यु दूषित पानी की वजह से होती है। विश्व में करीब 1.2 अरब लोग सुरक्षित मीठा जल न मिल पाने के कारण भयंकर खतरे में जी रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर रोज कम से कम चार हजार बच्चे उन रोगों से मर जाते हैं जो दूषित जल के कारण होते हैं। भारत में ही दस में से चार व्यक्तियों की स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं है। दूषित पानी से हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस-ई, पोलियो, टायफाइड और पैरा-टायफाइड, आतों के रोग, हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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