जेएफएफ में कानपुरवासियों ने जाना सुरों के मुसाफिर का सफर

पंचम दा के संगीत सफर के गवाह बने दर्शक। बोले, नहीं जानते थे सुरों के सरताज की कहानी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 03:37 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 03:37 PM (IST)
जेएफएफ में कानपुरवासियों ने जाना सुरों के मुसाफिर का सफर
जेएफएफ में कानपुरवासियों ने जाना सुरों के मुसाफिर का सफर

जागरण संवाददाता, कानपुर : 'कुछ तो लोग कहेंगे', 'चुरा लिया है तुमने जो दिल को', 'मुसाफिर हूं यारों', 'दम मारो दम' जैसे सुपरहिट गीतों को अपने संगीत से अमर बनाने वाले संगीतकार राहुल देव बर्मन (पंचम दा) के संगीत सफर के शनिवार को दर्शक गवाह बने। मौका था जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में ब्रह्मानंद सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म 'पंचम अनमिक्स्ड : मुझे चलते जाना है' के प्रदर्शन का।

पंचम दा के जीवन पर आधारित इस फिल्म में उनकी यादों को करीने से संजोया गया है। उनके चाहने वालों, संगीतकार, कलाकार, गीतकार और साथ काम करने वालों उनके साथ गुजारे पलों को इस फिल्म साझा किया गया है। फिल्म इंडस्ट्री के महान संगीतकारों में एक पंचम दा ने 330 से ज्यादा फिल्मों में गीतों को संगीत दिया और उन्हें सुपरहिट बना दिया। आज की नई पीढ़ी भी इन गीतों को गुनगुनाती है। हर गीत में नया संगीत देना उनकी अदा थी। इसी अदा ने शोले, अमर प्रेम, कटी पतंग, पड़ोसन, हरे रामा हेर कृष्णा, भूत बंगला, परिचय, दीवार, 1942 ए लव स्टोरी जैसी अनगिनत फिल्मों में गीतों को नया आयाम दिया। फिल्म दर्शकों के लिए भी रोचक थी। दर्शकों ने फिल्म देखने के बाद कहा, गीत तो खूब सुने थे, आज संगीत और संगीतकार दोनों को करीब से जाना। नहीं जानते थे कि पंचम दा सुरों के सरताज थे।

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''फिल्म वाकई बहुत प्रेरणादायक थी। पंचम दा के जीवन से जुड़े कई छुए अनछुए पहलू आज जानने को मिले।

- रितु गर्ग, पार्वती बांगला रोड

''पंचम दा को पंचम दा क्यों कहते हैं यह आज जाना। फिल्म इडंस्ट्री की बहुत बड़ी शख्सियत से जेएफएफ ने रूबरू कराया है।

- रीता पुरवार, स्वरूप नगर

''जेएफएफ में क्लासिक फिल्में देखने को मिलती हैं जो अक्सर पर्दो पर नहीं आ पाती। ऐसी फिल्में काफी कुछ सिखाती हैं।

- मीना गुप्ता, मैकरार्बटगंज

''इस तरह की बायोपिक से दर्शकों को बहुत कुछ जानने को मिलता है। ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए।

- मो. जमील हक, रावतपुर

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