कानपुर नगर निगम की तिजोरी में बंद है पर्यावरण सुधार और सड़कों पर उड़ रहा धूल का गुबार
कानपुर नगर निगम के खजाने में 15वें वित्त आयोग के तहत आबोहवा संवारने के लिए मिले 74 करोड़ रुपये पड़े हैं। लेकिन अभी तक शहर में पर्यावरण सुधार के लिए प्रस्ताव तक नहीं बनाए गए हैं जगह जगह टूटी-उखड़ी सड़कों से लोग बेहाल हैं।
कानपुर, जेएनएन। शहर की टूटी-उखड़ी सड़कों पर धूल फांकते जब आप निकलते हैं तो मन में सवाल जरूर आता है कि आखिर कब बदलेगी यह सूरत? कायदे से तो अभी तक यह सूरत बदलती दिखनी चाहिए थी। मगर, क्या करें! आबोहवा को सुधारने के लिए सरकार ने तो धन देने में हिचक नहीं दिखाई है, लेकिन नगर निगम ही रुपये पाने के बाद भी आगे नहीं बढ़ सका। पर्यावरण सुधार तिजोरी में बंद पड़ा है जबकि सड़कों पर धूल का गुबार उड़ रहा है।
कानपुर निगम के खजाने में 74 करोड़ रुपये पड़े हैं इस काम के लिए, फिर जनता बदहाल सड़कों का दर्द झेल रही है। पर्यावरण सुधार के लिए शासन ने यह धन 15 वें वित्त आयोग के तहत माह पहले जारी कर चुका है, पर अभी तक नगर निगम ने प्रस्ताव तैयार नहीं किया है। कब प्रस्ताव तैयार होगा, कब टेंडर और काम शुरू होंगे, यह सवाल है। इस वित्तीय वर्ष खत्म होने में मात्र 34 दिन बचे है। पर्यावरण सुधार की गाड़ी न बढ़ी तो मिला धन वापस हो सकता है।
शहर को प्रदूषण मुक्त करने और पर्यावरण सुधार को लेकर शासन ने नगर निगम को 296 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। नवंबर में 74 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके तहत केवल पर्यावरण सुधार के काम होने हैं। धूल उड़ाती सड़कों की मरम्मत, नालों के किनारे कच्चे स्थान पर टाइल्स लगाने, चौराहों पर फव्वारा लगाना और नालों को दुरुस्त करने का काम होना है। नगर निगम के मुख्य अभियंता एसके ङ्क्षसह ने बताया कि पर्यावरण सुधार के लिए नई गाइड लाइन के तहत प्रस्ताव चार दिन में तैयार हो जाएगा। इसे महापौर की अध्यक्षता में बैठक करके अंतिम रूप दिया जाएगा।
पिछले वित्त आयोग के तहत काम
ये दी जाए राहत
-कंपनी बाग चौराहा, स्वरूप नगर, आर्यनगर, कौशलपुरी, जवाहर नगर, नेहरू नगर, प्रेमनगर, गांधीनगर, आनंद बाग, यशोदानगर, किदवईनगर, गोपाल नगर समेत कई जगह सड़कों की मरम्मत कराई जाए। पानी के छिड़काव के लिए चार वाहन खरीदे जाएं। दस चौराहों पर एयर प्यूरी फायर लगाए जाएं। नालों के आसपास हैंगिंग गार्डन बनें।