GSVM मेडिकल कालेज की बड़ी उपलब्धि, UP में पहली बार हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल में मुंबई के रीजनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ के साथ प्राचार्य सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट का प्रोसिजर सफलता पूर्वक करके प्रदेश में कीर्तिमान स्थापित किया है। ट्रांसप्लांट मुंबई के रीजनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ डा. बीएस राजपूत के निर्देशन में किया गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 04:20 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 04:20 PM (IST)
GSVM मेडिकल कालेज की बड़ी उपलब्धि, UP में पहली बार हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल में सफल ऑपरेशन।

 कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में प्रदेश का पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है। सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित पांच वर्षीय बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट मुंबई के रीजनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ डा. बीएस राजपूत के निर्देशन में बुधवार को किया गया। डा. राजपूत हर महीने के तीसरे मंगलवार को अस्पताल में रीजेनरेटिव मेडिसिन की ओपीडी में सेवाएं प्रदान करेंगे।

मंगलवार को सर्जरी विभाग के अंडर में रीजेनरेटिव मेडिसिन विभाग की ओपीडी में जीएसवीएम मेडिकल कालेज में मुंबई से आए बतौर विजिटिंग प्रोफेसर डा. बीएस राजपूत ने जन्मजात लाइलाज बीमारियों से पीडि़त आठ मरीजों का चेकअप किया। इसमेें सेरेब्रल पाल्सी से पीडि़त गुमटी नंबर पांच निवासी पांच वर्षीय बच्चा, जो चलने फिरने में असमर्थ था। उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट थेरेपी के लिए चिन्हित किया। बुधवार को प्राचार्य प्रो. संजय काला, सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. जीडी यादव की मौजूदगी में डा. राजपूत ने बच्चे की बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू की। एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. चंद्रशेखर सिंह ने बच्चे के कूल्हे की हड्डी से बोन मैरो ट्रांसप्लांट की शुरुआत की। प्राचार्य प्रो संजय काला ने बताया कि यह मेडिकल कालेज के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्हाेंने कहा कि पहले भी विभाग ने दूसरे केसों के सफल आपरेशन किए हैं। लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में प्रदेश का पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है। इसके बाद भविष्य के रास्ते खुल गए हैं।

जानें क्या है बोन मैरो ट्रांसप्लांट : बोन मैरो ट्रांसप्लांट यानी स्टेम सेल थेरेपी एक प्रोसिजर है। इसके जरिए जन्मजात बीमारियों से पीडि़त रोगी, क्षतिग्रस्त अंग, पुराने घाव पर स्वस्थ बोन मैरो लेकर ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसका इस्तेमाल दो स्थिति में किया जाता है, जब शरीर में बोन मैरो स्वस्थ रक्त कोशिकाएं बनाना बंद कर दे। एक शरीर से लाल रक्त कणिकाएं लेकर ट्रांसप्लांट करते हैं। दूसरा किसी दूसरे के शरीर से लेकर ट्रांसप्लांट किया जाता है। 

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