कोलेस्ट्राल व गठिया की रोकथाम करेगी कानपुर कृषि विश्वविद्यालय की अलसी

अलसी की इस नई किस्म में कोलेस्ट्राल व गठिया को रोकने में कारगर ओमेगा-3 पाया जाता है। यह फैटी एसिड एक प्रकार का वसा है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Tue, 12 Dec 2017 01:52 PM (IST) Updated:Tue, 12 Dec 2017 01:52 PM (IST)
कोलेस्ट्राल व गठिया की रोकथाम करेगी कानपुर कृषि विश्वविद्यालय की अलसी
कोलेस्ट्राल व गठिया की रोकथाम करेगी कानपुर कृषि विश्वविद्यालय की अलसी

कानपुर (जेएनएन)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में अलसी की ऐसी प्रजाति विकसित की गई है जो कोलेस्ट्राल व गठिया की रोकथाम में सहायक होगी। सीएसए के कृषि वैज्ञानिकों ने अलसी की एलसीके-1108 वेरायटी तैयार कर किसानों के साथ इसका सेवन करने वालों को भी तोहफा दिया है।
अलसी की इस नई किस्म में कोलेस्ट्राल व गठिया को रोकने में कारगर ओमेगा-3 पाया जाता है। यह फैटी एसिड एक प्रकार का वसा है।

एक शोध के मुताबिक इससे भरपूर भोजन करने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। फैटी एसिड और लीगनंस तत्व एंटी कैंसर एजेंट होते हैं जो सामान्य कैंसर के अलावा प्रोस्टेट, ब्रेस्ट व लंग कैंसर से भी रक्षा करते हैं। साल भर के शोध के बाद सीएसए के तिलहन अनुभाग में कृषि वैज्ञानिक डा. नलिनी तिवारी (अभिजनक) ने यह प्रजाति ईजाद की है। भारत सरकार ने इसे मान्यता दी है। किसानों तक अलसी की इस प्रजाति को पहुंचाए जाने का काम किया जा रहा है।

अक्टूबर के तीसरे हफ्ते से लेकर नवंबर के पहले हफ्ते तक इसकी बोवाई की जा सकती है जबकि 135 दिन में फसल तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में 14 क्विंटल पैदावार होती है जबकि प्रति हेक्टेयर 10 से 12 क्विंटल फाइबर निकलता है जिसका इस्तेमाल चारपाई बनाने व हौज पाइप समेत अन्य कार्यों के निर्माण में किया जा सकता है।
अलसी के पौधे में नहीं लगता है रोग : एलसीके-1108 की वेरायटी अलटेनरिया, झुलसा व सफेद मक्खी रोगमुक्त है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि सफेद मक्खी 50 फीसद तक फसल चट कर जाती है। नई प्रजाति से खेतों में शत प्रतिशत पैदावार की संभावना बढ़ गई है। डा. नलिनी तिवारी ने बताया कि अलसी की इस नई प्रजाति में प्रति सौ ग्राम में तीन ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है जो अभी तक सर्वाधिक है। 

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