Ghatampur Bypoll Result: क्षेत्र से बूथ स्तर तक की मजबूती ने घाटमपुर में दिलाई भाजपा को जीत

Ghatampur Bypoll Result- भाजपा की पूरी टीम एक साथ लगी थी चुनाव में। राजाराम पाल व राकेश सचान की दांव पर लगी प्रतिष्ठा से कांग्रेस दूसरे नंबर पर। बसपा का कैडर वोट हमेशा की तरह अपनी पार्टी के साथ ही रहा।

By ShaswatgEdited By: Publish:Wed, 11 Nov 2020 09:43 AM (IST) Updated:Wed, 11 Nov 2020 01:21 PM (IST)
Ghatampur Bypoll Result: क्षेत्र से बूथ स्तर तक की मजबूती ने घाटमपुर में दिलाई भाजपा को जीत
उपेंद्र पासवान का कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अनुसूचित मोर्चा का अध्यक्ष होना अच्छा रहा।

कानपुर, जेएनएन। चुनाव शुरू होने से लेकर अंत तक भाजपा और दूसरे राजनीतिक दलों के बीच एक बड़ा अंतर दिखा तो संगठनात्मक ढांचे की मजबूती का। भाजपा की टीम क्षेत्र से बूथ स्तर तक गांवों में लगी थी, वहीं दूसरे दलों के पास बूथ तक संगठन की कमी नजर आई। नामांकन शुरू होने तक कांग्रेस में बूथ कमेटियां गठित हो रही थीं। पूर्व सांसद राजाराम पाल और राकेश सचान की दांव पर लगी प्रतिष्ठा ही कांग्रेस को दूसरे नंबर तक ले आई। पिछले विधानसभा चुनाव में घाटमपुर क्षेत्र कांग्रेस को सौंपने का खामियाजा सपा को इस चुनाव में उठाना पड़ा और पूर्व विधायक इंद्रजीत कोरी चौथे नंबर पर रहे। इन सबके बीच बसपा ने फिर दिखाया कि उसका कैडर वोट उसके ही साथ है।

जुलाई से ही भाजपा ने कर ली थी तैयारी 

भाजपा ने अपने संगठन का ताना-बाना इस तरह बुना कि उपचुनाव आने से पहले जुलाई में बूथ स्तर की कमेटियों को चुस्त दुरुस्त कर लिया था। पार्टी को मालूम था कि घर से वोट निकालकर बूथ तक ले जाने में यही कमेटी काम आएगी। समीक्षा के दौरान सबसे नीचे होने के बाद भी बूथ की चर्चा सबसे पहले होती थी। उपेंद्र पासवान का कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अनुसूचित मोर्चा का अध्यक्ष होना अच्छा रहा। उनके लिए क्षेत्र के साथ आसपास की जिला इकाइयों की पूरी टीम लगी हुई थी। भाजपा कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा की जीत संगठन के कार्यकर्ताओं के परिश्रम की वजह से है। उन्हें केंद्र और प्रदेश का मार्गदर्शन मिलता है। कार्यकर्ता उनके मुताबिक लगते हैं और परिणाम जीत की ओर ले जाते हैं। 

नहीं चला कांग्रेस का दांव 

राहुल और प्रियंका की गुड बुक में शामिल राकेश सचान और राजाराम पाल की प्रतिष्ठा इस सीट पर लगी हुई थी। उन्होंने पूरी ताकत लगाई हुई थी। इन दोनों नेताओं की ही पकड़ थी कि निचले स्तर पर संगठन न होने के बाद भी प्रत्याशी कृपाशंकर संखवार दूसरे नंबर पर रहे। सपा ने इंद्रजीत कोरी को टिकट जरूर दिया, लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता यहां चुनावी सभा तक करने नहीं आया। कानपुर के विधायकों को वहां जरूर लगाया गया, लेकिन कोई बड़ी सभा देखने को नहीं मिली। 

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