IIT Kanpur ने तैयार किया फार्मिंग बूट, खेतों में पैदल चलकर करें बीज की बोआई Kanpur News
आइआइटी ने विकसित की सरल व सस्ती तकनीक खेतों में सैर करते हुए खाद व कीटनाशक का छिड़काव भी किसान कर सकेंगे।
कानपुर, जेएनएन। सीमांत किसानों को अब खेतों में बीज की बोआई के लिए ट्रैक्टर व महंगे उपकरण खरीदने की जरूरत नहीं होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर में ऐसे फार्मिंग बूट बनाए गए हैं जिन्हें पहनकर गेहूं, धान व दलहनी बीजों की बोआई की जा सकेगी, वहीं खाद व कीटनाशक का छिड़काव भी किया जा सकता है।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर नीरज सिन्हा, संघप्रिय व टेक्निकल सुपरिंटेंडेंट राकेश थपरियाल ने मिलकर बीज बोआई की सरल व सस्ती तकनीक विकसित की है। डॉ. नीरज सिन्हा के निर्देशन में दो साल शोध के बाद यह बूट विकसित किया गया है। बूट बनने के बाद इसका परीक्षण आइआइटी परिसर में किया गया। इसके बाद आसपास के खेतों में किसानों द्वारा गेहूं, धान, अरहर, मटर, चना, मंूग व मसूर की बोआई कराई गई। परीक्षण में बूट के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
इस तरह काम करता है बूट
पैंथोग्राफ मैकेनिज्म के अंतर्गत तैयार किया गया फार्मिंग बूट एक पाउच से जोड़ा गया है। यह पाउच किसान की कमर में बंधा रहेगा, जिसमें बीज रखे होंगे। इस पाउच से एक पाइप निकाली गई है जो इन जूतों के तल्ले में पहुंचती है। इसी पाइप से बीच भी तल्ले तक पहुंचेंगे। तल्ले में एक एंगल लगा हुआ है। बूट रखने पर यह एंगल उस स्थान पर छेद कर देता और बूट उठाते ही उस स्थान पर मिट्टी गिर जाती है जिससे बीज की बोआई हो जाती है।
पहाड़ी क्षेत्रों में बोआई होगी आसान
टेक्निकल सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत होते हैं। जहां ट्रैक्टर व दूसरे साधनों से बीजों की बोआई आसान नहीं है। ऐसे में इन बूट के जरिये किसान आसानी से पहाड़ी नुमा खेतों में बोआई कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसका पेटेंट फाइल कर दिया गया है। कंपनियों से इस बूट को बनाने पर बात चल रही है। उम्मीद है कि किसानों को इसका लाभ जल्द ही मिल सकेगा।