कानपुर में पकड़े 96.62 करोड़ के नोट एनआरआइ और एक बड़ी कंपनी के जरिये बदलने का दावा

96.62 करोड़ की भारी-भरकम राशि में एक हजार और पांच सौ रुपये के पुराने नोट, 16 शख्स और दावा नोट बदलवाने का। बदलेगा कौन, ये सवाल खुफिया समेत सभी जांच एजेंसियों के लिए परेशानी का सबब बना है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Thu, 18 Jan 2018 08:49 AM (IST) Updated:Fri, 19 Jan 2018 01:17 PM (IST)
कानपुर में पकड़े 96.62 करोड़ के नोट एनआरआइ और एक बड़ी कंपनी के जरिये बदलने का दावा
कानपुर में पकड़े 96.62 करोड़ के नोट एनआरआइ और एक बड़ी कंपनी के जरिये बदलने का दावा

कानपुर (जेएनएन)। 96.62 करोड़ की भारी-भरकम राशि में एक हजार और पांच सौ रुपये के पुराने नोट, 16 शख्स और दावा नोट बदलवाने का। बदलेगा कौन, ये सवाल खुफिया समेत सभी जांच एजेंसियों के लिए परेशानी का सबब बना है। लंबी पूछताछ और मिली जानकारी के बाद विभिन्न पहलुओं पर उलझी जांच एजेंसियों को इस सवाल का जवाब खोजने में पसीना आ रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों के तहत नोट बदलने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं तो नोट कैसे बदले जा सकते हैं और कौन बदल रहा है।
मंगलवार देर शाम शुरू हुई छापेमारी के बाद पुलिस को एक-एक कर राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों से इकट्ठा एजेंट मिलते चले गए। हैदराबाद का कुटेश्वर राव वहां के किसी हरि कृष्णा के लिए एजेंट का काम करता है। गुंटूर का अली हुसैन भी आंध्रप्रदेश में एजेंट के तौर पर है। वाराणसी का संजय सिंह और मीरजापुर का संजय कुमार पूर्वी उत्तर प्रदेश से नोट इकट्ठा करता था। ओंकार लखनऊ तो अनिल यादव सहारनपुर में एजेंट था। ये सभी नोट इकट्ठा करते थे और कानपुर में बिल्डर आनंद खत्री के पास जमा करते थे। प्रोफेसर संतोष यादव कानपुर और लखनऊ में कलेक्शन के साथ मनीचेंजर की भी भूमिका निभाता था।

कोलकाता के प्रॉपर्टी डीलर संजीव अग्रवाल और मनीष अग्रवाल पश्चिम बंगाल में एजेंट थे। यानी कोलकाता, दक्षिण भारत और पश्चिम उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली तक सिंडीकेट फैला हुआ है। बकौल आइजी आलोक सिंह, आरोपी नोट बदलवाने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए वह कानपुर-वाराणसी-कोलकाता-हैदराबाद रूट, कानपुर-वाराणसी-हैदराबाद रूट और कानपुर-पश्चिम उत्तर प्रदेश-दिल्ली रूट इस्तेमाल करने का दावा कर रहे हैं। 15 करोड़ रुपये इस रूट के जरिये बदल चुके हैं लेकिन कहां, इसका उत्तर किसी को नहीं मिला। आयकर अधिकारियों के मुताबिक आनंद से बात करने का मौका मिलने के बाद वह अगर कुछ बोला तो काफी कुछ बड़ा ही चौंकाने वाला होगा।



आरबीआइ ने दिए थे ये विशेष रास्ते : नोट बदलने के लिए आरबीआइ ने तीन रास्ते दिये थे। इसके तहत 31 मार्च, 2017 तक अप्रवासी भारतीय नोट जमा कर सकते थे। दूसरा प्रावधान नोटबंदी की अवधि में विदेश प्रवास पर रहने वाले भारतीयों के लिए था और वह 30 जून, 2017 तक पुराने भारतीय रिजर्व बैंक के जरिये अपने खाते में जमा कर सकते थे। तीसरा प्रावधान 21 जून, 2017 को जारी किया गया। इसमें सहकारी बैंकों को पुराने नोट जमा करने के लिए 20 जुलाई, 2017 तक का समय दिया गया। यानी इन तीन रास्तों की समय सीमा खत्म हो चुकी है। बैंक में जमा नोट की डिटेल आरबीआइ, आरबीआइ की डिटेल भारत सरकार के पास पहुंच चुकी है। ऐसे में यहां नोट जमा नहीं हो सकते।  

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