NBRM से कोरोना संक्रमित मरीजों का बढ़ रहा ऑक्सीजन लेवल, टल रहा वेंटीलेटर तक पहुंचने का खतरा
How to increase oxygen level in Corona Patient कानपुर के हैलट अस्पताल में डॉक्टरों ने इस विधि से दो सौ से ज्यादा मरीजों का ऑक्सीजन लेवल सुधारा है। मरीज को नॉन रीब्रीथिंग मास्क लगाने से ऑक्सीजन बर्बाद नहीं होती है। न्यूरो साइंस और मैटरनिटी विंग में सफल रहा प्रयोग।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। कोरोना संक्रमण को लेकर देश भर में अस्पतालों में वेंटीलेटर और बेड मिलने के संकट के बीच राहत भरी खबर है। वायरस के सीधे फेफड़े पर असर के कारण उखड़ रहीं सांसें महज 50 रुपये कीमत वाले नॉन रिब्रीथिंग मास्क (एनआरबीएम) से सहेजने में मदद मिल रही है। शहर के एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) के न्यूरो साइंस और मैटरनिटी विंग, कांशीराम हास्पिटल में बने कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इस मास्क का इस्तेमाल कर सिलिंडर से ऑक्सीजन देने में ये बात सामने आई है। यह समझाने के लिए ये दो केस काफी हैं...।
केस-1: कानपुर देहात निवासी रेलवे कर्मी 54 वर्षीय सतेंद्र कुमार पांच दिन पहले ऑक्सीजन लेवल 82 पहुंचने पर भर्ती हुए थे। उनको एनआरबीएम मास्क लगाया गया। पेट के बल लिटाने से आराम मिला है। शनिवार को उनका ऑक्सीजन का स्तर 98 तक पहुंच गया था।
केस-2 : बर्रा के 65 वर्षीय हरिराम कोरोना संक्रमित हो गए। पांच से छह दिन बाद अचानक ऑक्सीजन लेवल गिरकर 85 से नीचे पहुंच गया। स्वजन ने हैलट अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन वहां इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) और हाई डिफिशिएंसी यूनिट (एचडीयू) की व्यवस्था नहीं मिल सकी। डॉक्टरों ने एनआरबीएम मास्क लगाया और पेट के बल लिटाकर ऑक्सीजन लेवल गिरने नहीं दिया। अभी अस्पताल में भर्ती हैं और ऑक्सीजन लेवल 92 से96 तक पहुंच गई है।
कोरोना संक्रमित मरीजों पर सफल टेस्ट
डॉक्टरों ने करीब 200 कोरोना संक्रमितों का इस सामान्य प्रक्रिया से ऑक्सीजन स्तर सुधारा है। इनमें कई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, जबकि कुछ का इलाज हो रहा है। इसकी अनुमानित कीमत महज 50 रुपये है। इसको लगाने से मरीजों के ऑक्सीजन का लेवल घटने के बजाय एक ही दिन में 80 से 96 तक पहुंच गया। इसके साथ ही उन्हें पेट के बल लिटाकर ऑक्सीजन लेवल ठीक करने में मदद मिली है। इस मास्क ने तमाम मरीजों को वेंटीलेटर तक पहुंचने के खतरे से भी बाहर निकाला है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें आक्सीजन बर्बाद नहीं होती है और मरीज को पूरी आक्सीजन मिलने से फायदा भी जल्द ही होता है।
ऑक्सीजन का नहीं होता नुकसान
न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह ने बताया कि साधारण फेस मास्क से ऑक्सीजन बाहर निकलती रहती है, जबकि नॉन रिब्रीथिंग मास्क से 95 से 100 फीसद ऑक्सीजन मरीज को मिलती है। इसमें नीचे की ओर पाउच जैसा रहता है, जिसमें होकर सिलिंडर से ऑक्सीजन नली के माध्यम से फेफड़ों तक जाती है और बर्बादी भी नहीं होती है।
इसमें पांच से आठ लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की सप्लाई कर सकते हैं। यह सामान्य संक्रमित या उससे थोड़ा गंभीर रोगियों के लिए कारगर है। अत्यधिक गंभीर के लिए वेंटीलेटर या फिर बाइपैप ही सहारा रहता है। बाइपैप में 15 से 20 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन दी जाती है। वेंटीलेटर में 40 से 80 लीटर प्रति मिनट का स्तर रहता है। एनआरबीएम को घर में भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर या विशेषज्ञों की सलाह जरूर ली जानी चाहिए। मास्क सर्जिकल आइटम वाले मेडिकल स्टोरों में मिल जाता है।
कब होती ऑक्सीजन की जरूरत
ऑक्सीजन का स्तर- ऑक्सीजन की आपूर्ति
- 95 से ऊपर कोई जरूरत नहीं
- 95 से 92 नैसल कैनुला
- 92 से नीचे पार्शियल रिब्रीङ्क्षथग मास्क
- 88 से 85 नॉन रिब्रीथिंग मास्क
- 85 से नीचे हाई फ्लो नैसल कैनुला
- 80 से नीचे नॉन इनवेसिव वेंटीलेटर मैं स्वयं कोरोना संक्रमित होकर आइसीयू में रहा। उस दौरान एनआरबीएम काफी मददगार साबित हुआ। पल्स ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन का लेवल 94 से ऊपर है तो घर में इलाज हो सकता है। 90 से नीचे आने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। -डॉ. राजतिलक, बाल एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ।