'राजा' के इलाके में 'दवाइयों' की खेती, 22 एकड़ में हुई सतावर

जागरण संवाददाता, कन्नौज: आलू के गढ़ में अब औषधि खेती का ट्रेंड शुरू हो गया है। इस बार कि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Dec 2018 11:13 PM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2018 11:13 PM (IST)
'राजा' के इलाके में 'दवाइयों' की खेती, 22 एकड़ में हुई सतावर
'राजा' के इलाके में 'दवाइयों' की खेती, 22 एकड़ में हुई सतावर

जागरण संवाददाता, कन्नौज: आलू के गढ़ में अब औषधि खेती का ट्रेंड शुरू हो गया है। इस बार किसानों ने आलू से पहले 22 एकड़ में सतावर, तुलसी व एलोवेरा की खेती की है।

उद्यान विभाग की पहल पर छिबरामऊ, सौरिख व उमर्दा क्षेत्र के गांव इसमें सबसे आगे हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि औषधीय पौधों की खेती के लिए विभाग की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। इसके अलावा बाजार में इनके दाम लागत के मुकाबले कई गुना अधिक हैं। खास बात ये है कि औषधीय पौधों की खेती साल में दो बार की जा सकती है। दवा में उपयोगी,, विदेशों तक मांग

सतावर, तुलसी व एलोवेरा मुख्य रूप से दवा में उपयोगी हैं। देश-विदेश तक इसकी खूब मांग रहती है। लखनऊ के शहादतगंज में मंडी लगती है। जहां सूबे भर से बड़े पैमाने पर बिक्री होती है। गंभीर बीमारियों में मिलता है आराम

सतावर : इसके नियमित सेवन से ल्युकोरिया, व एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से निजात मिलती है। बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी यह फायदेमंद है।

एलोवेरा: इसमें कई औषधि गुण होते हैं। जो नेत्र रोग, पेट में कीड़े, दर्द, चर्म रोग को दूर करता है। साथ ही ताकत की दवाओं में इस्तेमाल होता है।

तुलसी : सर्दी, जुकाम व बुखार दूर करती है। साथ में जहर का प्रभाव भी कम करती है। ये है अनुदान की स्थिति

सतावर : 27,450 रुपये प्रति हेक्टेयर

तुलसी : 13,000 रुपये प्रति हेक्टेयर

एलोवेरा : 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर

(नोट : अनुदान बीज व जैविक खाद पर) औषधि खेती में कमाई है। अनुदान भी मिलता है। इससे लागत कम आएगी। लक्ष्य के मुताबिक 22 एकड़ में फसल की गई है।

-मनोज कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी।

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