जिला अस्पताल में एमसीआइ के नियम की अनदेखी, जिम्मेदार मौन

जागरण संवाददाता, कन्नौज : मरीज के पर्चे पर ब्योरे से डॉक्टर को मर्ज की जानकारी मिल जाती है। ह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 11:34 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 11:34 PM (IST)
जिला अस्पताल में एमसीआइ के नियम की अनदेखी, जिम्मेदार मौन
जिला अस्पताल में एमसीआइ के नियम की अनदेखी, जिम्मेदार मौन

जागरण संवाददाता, कन्नौज : मरीज के पर्चे पर ब्योरे से डॉक्टर को मर्ज की जानकारी मिल जाती है। हर बड़े अस्पताल में इलाज से पहले मरीज के पर्चे पर पूरा ब्योरा दर्ज किया जाता है लेकिन जिला अस्पताल में मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के इस नियम की अनदेखी की जा रही है है। बिना केस हिस्ट्री जाने ही चिकित्सक पर्चे पर सीधे दवाएं लिख रहे हैं, जिससे मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

भारत सरकार की सबसे बड़ी संस्था मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने सरकारी अस्पतालों में एक रुपये में मिलने वाले पर्चे (प्रीस्क्रिप्सन) की डिजायन तैयार की है। इसमें सबसे ऊपर मरीज के नाम पते के अलावा उसका ¨लग दर्ज रहता है। इसके बाद उसकी बीमारी और लक्षण भी लिखे जाते हैं। साथ ही वजन, ब्लड प्रेशर, पल्स, लंबाई, शरीर के तापमान के अलावा चेस्ट आदि कई प्रविष्टियां भरीं जातीं हैं। जिला अस्पताल में औसतन पांच सौ मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं और करीब 40 डॉक्टर मरीजों को देखते हैं। किसी भी पर्चे पर ब्योरा नहीं दर्ज किया जा रहा है और केवल खानापूरी की जा रही है। डॉक्टर मरीज के पर्चे पर केवल दवाएं और खून की जांचें लिख देते हैं, जिससे जब वह मरीज बाहर जाता है तो उसे सही इलाज नहीं मिल पाता है। एमसीआइ के नियमों का खुला उल्लंघन होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी की इस पर नजर नहीं है।

-----

सभी अस्पतालों में चलता एक ही पर्चा

भारत के सभी अस्पतालों में मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया द्वारा बनाया गया एक ही पर्चा चलता है। कानपुर के हैलट और उर्सला अस्पताल में भी यही पर्चा होता है और प्रविष्टियां भरीं जातीं है, लेकिन यहां जिला अस्पताल में पर्चे पर मरीज की बेसिक जानकारी तक नहीं दी जाती है।

----

पर्चे पर प्रोविजनल डायग्नोसिस लिखने का प्रावधान है। ये चिकित्सक पर निर्भर करता है। जिला अस्पताल में ऐसा नहीं हो रहा है तो नियमानुसार गलत है। - डॉ. कृष्ण स्वरूप, सीएमओ

chat bot
आपका साथी