रिश्ते बनाने के दबाव पर परिवार में लौट गई विधवा

धर्मांतरण में लगे ईसाई मिशनरियों के एजेंट प्राय: परेशान हाल में चल रहे परिवार को टारगेट करते हैं। उस परिवार की कमजोरी की तलाश करते हैं और फिर आसानी से उन्हें गुमराह कर अपने मिशन में शामिल कर लेते हैं। इतना ही नहीं वे अपने समाज के विकास हेतु अंधिश्वास के चलते धर्मांतरण की जाल में आए लोगों को चंगाई, मुक्ति की तिलिस्म में फंसाकर उनका शोषण करते हुए उनसे रिश्ते भी बनाने की कोशिशें करते हैं, क्योंकि इस चौकाने वाली सच्चाई की बानगी है यह खबर। चंगाई और परिवार की खुशहाली के लिए चार साल तक ईसाई मिशन से जुड़ी रही एक विधवा की कुछ ऐसी ही कहानी है, जो पति की मौत के बाद भी पुरऊपुर में बने अस्थाई चर्च में जाती रही। लेकिन वर्ष 2016 में एक दिन उसके साथ इस तरीके की कोशिश की गई तो उसका स्वाभिमान जागा और वह अपने परिवार के साथ फिर ¨हदू धर्म में वापस लौट आई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 11:02 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 11:02 PM (IST)
रिश्ते बनाने के दबाव पर परिवार में लौट गई विधवा
रिश्ते बनाने के दबाव पर परिवार में लौट गई विधवा

जागरण संवाददाता, मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर) : धर्मांतरण में लगे ईसाई मिशनरियों के एजेंट प्राय: परेशान हाल में चल रहे परिवार को टारगेट करते हैं। उस परिवार की कमजोरी की तलाश करते हैं और फिर आसानी से उन्हें गुमराह कर अपने मिशन में शामिल कर लेते हैं। इतना ही नहीं वे अपने समाज के विकास हेतु अंधिश्वास के चलते धर्मांतरण की जाल में आए लोगों को चंगाई, मुक्ति के तिलिस्म में फंसाकर उनका शोषण करते हुए उनसे रिश्ते भी बनाने की कोशिशें करते हैं, क्योंकि इस चौकाने वाली सच्चाई की बानगी है यह खबर। चंगाई और परिवार की खुशहाली के लिए चार साल तक ईसाई मिशन से जुड़ी रही एक विधवा की कुछ ऐसी ही कहानी है, जो पति की मौत के बाद भी पुरऊपुर में बने अस्थाई चर्च में जाती रही। लेकिन वर्ष 2016 में एक दिन उसके साथ इस तरीके की कोशिश की गई तो उसका स्वाभिमान जागा और वह अपने परिवार के साथ फिर ¨हदू धर्म में वापस लौट आई।

गुड़हाई मोहल्ला निवासी संगीता देवी गुप्ता दैनिक जागरण से बताती है कि पति बृजेश बहुत बीमार हो गए। उस समय बड़ा बेटा सचिन 13 साल का बेटी नेहा 12 साल की तो छोटा बेटा अश्वनी 8 साल का था। पति आभूषण बनाने का कारोबार करता था और परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधे पर थी। उसका इलाज चल रहा था, लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा था। इसी दौरान पुरऊपुर में प्रार्थना सभा आयोजित करने वाली ईसाई मिशनरियों में शामिल पुरऊपुर के छोटेलाल, इलाहाबाद जिले के सरायमरेज थाना क्षेत्र के खखईचा निवासी राम अचल ¨बद, मठिया निवासी जड़ावती व सोहासा निवासी राजकुमारी उसके घर पहुंचे। कहने लगे 'तुम पति व परिवार को प्रभु यीशु के दरबार में ले चलो, वे चंगा हो जाएंगे' और आपका परिवार खुशहाल हो जाएगा। परिवार को गुमराह करते हुए ईसाई मिशन में शामिल करा लिए। इसके बाद परिवार के सदस्य ¨हदू देवी-देवताओं की पूजा बंद कर यीशु की प्रार्थना करने लगे। इस दौरान बीमार चल रहे पति की हालत और गंभीर हो गई। साल भर से अधिक समय मिशन ने आते-जाते हो चुका था, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। 15 सितंबर 2013 को उनकी मौत हो गई। मृत्यु के समय पति ने कहा था कि सनातन ¨हदू धर्म सर्वश्रेष्ठ है। तुम अपने धर्म में वापस चली जाना और यीशु को छोड़ देना। पति की आज्ञा से पत्नी मिशन में जाना बंद कर दिया, लेकिन कुछ ही दिन बाद मिशनरियों से जुड़े वे लोग फिर पहुंचे। इनमें दिलीप सर नाम का पादरी भी शामिल था। सभी ने उसका ब्रेनवास किया। घर में यीशु की प्रार्थना आयोजित की गई। इसके बाद परिवार फिर मिशन में आने जाने लगा। उसकी आमदनी का दसवां हिस्सा मांग रहे मिशनरी के लोग उसे पुन: विवाह मिशनरी में करने और भविष्य में बच्चों की भी शादी मिशनरियों में जुड़े परिवार से ही करने का दबाव बनाने लगे। धर्म के आड़ में पाखंडियों का असली चेहरा सामने देख उसका मोह भंग हो गया और पुन: ¨हदू धर्म में वापस लौट आई। घर में देवी देवताओं की मूर्तियां सजा दिया और पूजा पाठ करने लगा। इसके बाद कई बार ईसाई मिशन के लोग उसके पास आए देवी देवताओं की पूजा बंद करने को कहा और मिशन से जुड़े रहने का दबाव बनाया, ¨कतु संगीता का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। उसने कड़े शब्दों में उन लोगों से कह दिया कि उसके दरवाजे पर कभी न आए वह सनातनी ¨हदू है और देवी-देवताओं की पूजा करेगी। पूरा परिवार अब ¨हदू धर्म में आस्था रखता है और देवी देवताओं की पूजा करता है।

chat bot
आपका साथी