बारिश की हर बूंद को सहेजने के लिए हर तरफ चल रहे फावड़े

जिले में जलाग्रह अभियान रंग लाने लगा है। हर गांवों में युद्ध स्तर पर तालाबों के खोदाई का कार्य चल रहा है जिससे जल संरक्षण के जरिए प्रयास रंग लाने लगा है। अबकी गर्मी में लोंगों को राहत जरूरत मिलेगी। बुजुर्गो से लेकर युवाओं में गजब का उत्साह है सभी गजब की सहभागिता कर रहे है। इस अभियान में मंगलवार को करीब पांच हजार श्रमिकों को रोजगार मिला।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 05:47 PM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 05:47 PM (IST)
बारिश की हर बूंद को सहेजने के लिए हर तरफ चल रहे फावड़े
बारिश की हर बूंद को सहेजने के लिए हर तरफ चल रहे फावड़े

जागरण संवाददाता, जौनपुर : जिले में चल रहा जलाग्रह अभियान रंग लाने लगा है। हर गांवों में युद्ध स्तर पर तालाबों की खोदाई का कार्य चल रहा है, जिससे जल संरक्षण का प्रयास रंग लाने लगा है। कहा जा रहा है कि इससे अबकी बारिश में जीवन के लिए अनमोल बूंद-बूंद को बचाने में काफी मदद मिलेगी। तालाबों की खोदाई से बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक में गजब का उत्साह है, सभी अपनी सहभागिता भी कर रहे हैं। इस अभियान में मंगलवार को करीब पांच हजार श्रमिकों को रोजगार मिला।

जिले में 15 फरवरी को पहले चरण में 228 तालाबों की खोदाई का कार्य शुरू हुआ। इसका शुभारंभ जिलाधिकारी, समेत जिला स्तरीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने धूमधाम से किया। द्वितीय चरण में 20 फरवरी से 75 और तालाबों को खोदवाया जा रहा है। इन दोनों में मनरेगा श्रमिक लगाए गए। वहीं तीसरे चरण में 25 फरवरी से 84 तालाबों के खोदाई का कार्य कराया जा रहा है, जो जेसीबी से चल रहा है। इसमें जिले के जेसीबी संचालकों ने अपना निश्शुल्क सहयोग देने का आश्वासन दिया।

बदलापुर विकास खंड के महमूदपुर गांव में तालाब के खोदाई का कार्य एक सप्ताह से निरंतर चल रहा है। जिसमें गांव के सभी मजदूरों को काम मिल गया है। तालाब की खोदाई के लिए संजय सिंह ने प्रयास करके इस कार्य को पास करवाया है। जल संचयन को लेकर एक अरसे से प्रयासरत ग्रामीणों को इस तालाब की खोदाई हो जाने से राहत मिल सकती है। ग्रामीण तालाब की खोदाई को लेकर काफी उत्साहित हैं। जलालपुर के दरवेशपुर गांव में तालाब खोदाई का कार्य जोर पकड़ लिया है। गांव के पश्चिम में इस तालाब की खोदाई से पूर्व कभी नहीं हुई थी। तालाब पूरी तरह घास, रेड़, बेहया आदि से पटा हुआ है। इस तालाब का शुभारंभ करीब दो सप्ताह पूर्व जफराबाद के भाजपा विधायक डा. हरेंद्र प्रसाद सिंह ने हवन-पूजन के बाद किया था। तालाब के पश्चिम तीन अलग-अलग सतहों पर मिट्टी की सीढ़ी तकरीबन बन चुकी है।

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लोकोत्सव, धार्मिक मान्यताओं व परंपराओं का केंद्र है तालाब

तालाब सर्वथा लोकोत्सव, धार्मिक मान्यताओं व परंपराओं का केंद्र रहा है। वैदिक काल से ही आध्यात्मिक, सामाजिक व लोक मान्यताओं का परिचायक रहा है। तालाब एक कृत्रिम व प्राकृतिक जलाशय है, लोक जीवन में तालाब का धार्मिक महत्व होने के कारण यह भारतीय संस्कृति में रची बसी है। विवाह संस्कार में कन्या अपने पक्ष से सात वचनों में एक वचन यह भी लेती है कि हे स्वामी यदि आप बावली, कुआं, तालाब आदि का निर्माण करने का वचन दें तो मैं आपकी वामांगी बनूंगी। इतना ही नहीं अपितु समस्त वैवाहिक कार्यक्रमों की पूर्णता में तालाब के ही समीप कार्य संपन्न होते हैं। सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा भी तालाब में ही संपन्न होती है। वैदिक रीति व परंपरा वास्तविक रूप में जल संरक्षण का परिचायक रहा है, पर्यावरण के संतुलन को दर्शाता है। तालाब, पोखरा प्राकृतिक जलस्त्रोत का सर्वोत्तम साधन रहा है। घनघोर वर्षा के समय तालाब, पोखरे बाढ़ के संकट से मुक्ति दिलाते तथा जल स्तर में सुधार का माध्यम होते थे।

-पं.रजनीकांत द्विवेदी , जौनपुर।

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