कंपनी के एमडी के साथ दस पर गबन का मुकदमा

छह साल में धन दो गुना करने व प्लाट देने की लालच देकर तीन करोड़ हड़पने के आरोप में मैनेजिग डायरेक्टर समेत 10 लोगों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। यह कार्रवाई सीजेएम कोर्ट के आदेश पर की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 06:37 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 06:37 PM (IST)
कंपनी के एमडी के साथ दस पर गबन का मुकदमा
कंपनी के एमडी के साथ दस पर गबन का मुकदमा

जागरण संवाददाता, जौनपुर: छह साल में धन दो गुना करने व प्लाट देने की लालच देकर तीन करोड़ रुपये हड़पने के आरोप में मैनेजिग डायरेक्टर समेत दस लोगों के विरुद्ध लाइन बाजार थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। यह कार्रवाई सीजेएम कोर्ट के आदेश पर की गई है।

विजय बहादुर पटेल निवासी गुलालपुर, नेवढि़या ने कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था कि वाजिदपुर स्थित केएमजे लैंड डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड की ब्रांच आफिस थी। कंपनी के एमडी एसएल राठौर, डायरेक्टर सुनील सिंह समेत छह डायरेक्टर, डीजेएम जगमोहन, एजेएम एसआर हाशमी थे। कंपनी का रजिस्ट्रेशन 26 फरवरी 2018 को ग्वालियर से हुआ था। वादी व अखलाक अहमद, राजेंद्र प्रसाद आदि कंपनी वालों के झांसे में आकर एजेंट बने। कंपनी जमीन खरीदने और बेचने का कार्य करती थी। कंपनी में 20,000 रुपये एकमुश्त अथवा किस्त में जमा करना था। एजेंट के माध्यम से रुपये जमा करने पर एक प्लाट अथवा प्लाट न लेने पर छह साल में रुपये दोगुना देने का कंपनी द्वारा प्रचार किया गया। एमडी व अन्य डायरेक्टर ने विश्वास दिलाया कि कोई विश्वासघात नहीं होगा। सैकड़ों लोगों का पैसा जमा कराकर बांड एजेंट के माध्यम से ग्राहकों को दिया गया। इस बीच कंपनी की नियत खराब हो गई। ग्राहकों का रुपये हड़पने के लिए कंपनी ने केएमजी नाम की कंपनी बंद कर छद्म नाम लोकहित भारती क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाया तथा एजेंटों व ग्राहकों को आश्वासन दिया कि केएमजे का बांड ट्रांसफर हो जाएगा। कुछ ग्राहकों को लोकहित का बांड भी दे दिया गया लेकिन न तो लोगों को रुपये मिले न ही प्लाट। कंपनी ने कूट रचित बांड जारी किया। ग्राहकों को करीब तीन करोड़ रुपये कंपनी के अधिकारियों ने हड़प लिया। थाना व पुलिस अधीक्षक को दरखास्त देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। कोर्ट ने प्रथम²ष्टया गंभीर मामला पाते हुए आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश पर थाने पर एफआइआर दर्ज हुई और उसकी कापी न्यायालय में भेजी गई।

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