न जाने और कितनी जान लेगा लटकता तार
यहां तो न इंसान की जान की कीमत है और न ही बेजुबानों की। तभी तो खंभे से मौत बनकर लटक रहे तार को ऊपर करने की जहमत कोई नहीं उठा रहा।
जासं, मीरगंज (जौनपुर): यहां तो न इंसान की जान की कीमत है और न ही बेजुबानों की। तभी तो खंभे से मौत बनकर लटक रहे तार को ऊपर करने की जहमत कोई नहीं उठा रहा। लटक रहे तार से करेंट की चपेट में आने से गत माह एक गजराज की मौत हो गई। ठीक इसी स्थान पर पांच वर्ष पहले रामनरेश मिश्रा की मौत हुई थी। इस मौत के बाद सिस्टम पर सवाल उठे और अधिकारियों की लापरवाही सामने आई। इसे लेकर खूब हल्ला मचा। धरना व प्रदर्शन हुआ, लेकिन पांच वर्ष बाद भी न तो खंभा बदला और न ही तार। अभी पिछले वर्ष ही गांव का संदीप गेहूं की सिचाई करने के दौरान इसी खंभे के नीचे लटकते तार से करेंट की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया। किसी तरह युवक की जान तो बच गई, लेकिन इसके बाद भी अधिकारी नहीं जागे। तीन बड़ी घटनाओं के बाद भी भटहर गांव स्थित साहिनाथ के समीप लटक रहे विद्युत तार को बदला नहीं बदला गया। लापरवाही का आलम देखिए। जहां एक ओर सरकार गांव-गांव बिजली पहुंचाने के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही वहां अधिकारी जमीन पर लटक रहे तार को ऊपर तक नहीं उठवा पा रहे। यह हालात तब है जब शासन की ओर से संचालित योजनाओं की प्रत्येक स्तर पर मानीटरिग की जा रही है। बावजूद इसके कुछ लापरवाह अधिकारी योजनाओं पर पलीता लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। प्रधान पुत्र सिटू मौर्या का कहना है कि यह तार जानलेवा बन गया है। इसे बदलने को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।