दावों तक सिमटा खुले में शौच से मुक्ति का अभियान

अब भी खेत व सड़क किनारे जाती है आधी आबादी, जिम्मेदार मौन जौनपुर : जिले भर को खुले में शौच से मुक्त

By Edited By: Publish:Tue, 06 Dec 2016 07:01 PM (IST) Updated:Tue, 06 Dec 2016 07:01 PM (IST)
दावों तक सिमटा खुले में शौच से मुक्ति का अभियान

अब भी खेत व सड़क किनारे जाती है आधी आबादी, जिम्मेदार मौन

जौनपुर : जिले भर को खुले में शौच से मुक्त कराने का अभियान महज दावा बन कर रह गया। धरातल पर उसका कोई पता-ठिकाना नहीं है। अधिकतर लोग खेत व सड़क किनारे शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणांचल व शहरी क्षेत्र में सामुदायिक शौचालय बनवाने की बात कही गई। इसको भी एक लंबा अरसा गुजर गया। खुले में शौच से मुक्ति मिलना तो दूर, अभियान चार कदम भी आगे नहीं बढ़ा। इसी का नतीजा रहा कि खेतासराय में सड़क किनारे शौच को गई महिला को पिकअप ने कुचल दिया।

लोग खुले में शौच को लेकर मजबूर हैं। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार उदासीन हैं। शाहगंज कोवताली के नोनहट्टा, पुरानी बाजार, नई आबादी, भठियारी सराय आदि मोहल्लों के लोग शौचालय की व्यवस्था न होने की वजह से खुले में शौच को जाते हैं। यहां सुलभ शौचालय या सामुदायिक शौचालय बनाने का कोई प्रयास होता भी दिखाई नहीं दे रहा। चुनाव के समय लोगों से शौचालय को लेकर तमाम दावे और वादे किए गए। सरकार ने भी ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्ति का नारा दिया। कई गावों को कर भी दिया गया लेकिन ये नाकाफी ही रहा। ग्रामीणांचल में तो स्थिति और भी बदतर है। ग्रामीण खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। गांव में सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण नहीं हो सका। खेतसराय नगर के गई वार्ड के लोग खुले में शौच को मजबूर हैं। गिने-चुने घरों में ही शौचालय बन पाया है। बाकी मुख्य मार्ग को ही शौचालय की तरह प्रयोग करते हैं। सालारगंज मोहल्ले की आबादी लगभग 13 सौ लोगों की है। चार से पांच सौ लोगों को ही शौचालय मयस्सर है। अन्य का सहारा मुख्य मार्ग या अन्य स्थान हैं। छोटे बच्चे तो नालियों को ही अपना शौचालय समझ चुके हैं। आज तक किसी जिम्मेदार ने इसकी सुधि नहीं ली। रब्बुल 65 भी शौच के लिए सड़क किनारे पटरी तक गई थीं। कोहरा अधिक होने से पिकअप चालक उन्हें देख नहीं सका। उसकी चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। उनकी मौत ओडीएफ को आइना दिखाने के लिए काफी है।

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