भूमि व बीज शोधन करके बोआई न करने बढ़ती उपज
जागरण संवाददाता उरई दलहनी फसलों जैसे चना मटर
जागरण संवाददाता, उरई : दलहनी फसलों जैसे चना, मटर, मसूर आदि की बोआई हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार सिंह के दिशा निर्देशन में ग्राम हरक्का में कृषि गोष्ठी में किसानों को फसल को कीटों से बचाने व उपज बढ़ाने के गुर बताए।
उन्होंने बताया कि भूमि शोधन भौतिक, जैविक एवं रासायनिक विधियों द्वारा किया जा सकता है। भौतिक विधि में खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके छोड़ दें जिससे सूर्य की गर्मी से मिट्टी से फैलने वाले रोग, कीट एवं खरपतवार आदि नष्ट हो जाते हैं। खेत की जुताई करके पारदर्शी पॉलिथीन से ढकने से भी मिट्टी उपस्थित रोग एवं कीट नष्ट हो जाते हैं। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. रजनीश चंद्र मिश्र के द्वारा दलहनी फसलों में लगने वाले कीट, बीमारियों का भूमि शोधन एवं बीज शोधन के द्वारा प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। जैविक विधि में बेबेरिया बेसियाना, ट्राइकोडर्मा, स्युडोमोनास, बेसिलस आदि प्रयोग करके भूमि शोधन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि भूमि शोधन एवं बीज शोधन से भूमि एवं बीज जनित समस्त व्याधियां नष्ट हो जाती हैं। फसलों की समान रूप से अंकुरण एवं वृद्धि होती है तथा मिटटी में उपस्थित फॉस्फोरस, पोटाश तथा अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. अनुज कुमार गौतम ने पशुओं में होने वाले प्रमुख बीमारियों जैसे गलाघोंटू, खुरपका-मुखपका, लंगडी बुखार तथा पैरासाइट जू, किलिनिया, पिस्सू के रोकथाम के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस दौरान आदित्य शुक्ला, विजय सिंह, परमेंदर सिंह, पवन तिवारी, कामना सिंह, देवेंद्र, देवेश मौजूद रहे।