सर्विस व मिडिल क्लास को टैक्स में राहत की उम्मीद

जी) पर्चेजिग पावर बढ़ाने के लिए टैक्स रिबेट बढ़ाकर 8.5 लाख रुपये करने की उठ रही मांग ब्लर्ब सुस्त पड़ी अर्थ व्यवस्था को गति देने का काम हो सकता है टैक्स स्लैब में भी टैक्स रेट कम करने की भी मांग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 12:35 AM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 12:35 AM (IST)
सर्विस व मिडिल क्लास को टैक्स में राहत की उम्मीद
सर्विस व मिडिल क्लास को टैक्स में राहत की उम्मीद

जागरण संवाददाता, हाथरस : केंद्र सरकार एक फरवरी को आम बजट पेश करने जा रही है। बजट की तिथि करीब आते-आते लोगों की उत्सुकता भी बढ़ रही है। मिडिल क्लास लोगों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। उम्मीद है कि सुस्त पड़ी अर्थ व्यवस्था को गति देने का काम किया जाएगा। लोगों की पर्चेजिग पावर बढ़ाने के लिए टैक्स रिबेट में छूट के साथ टैक्स स्लैब में भी राहत मिलनी चाहिए। आम लोगों के लिए बजट के पिटारे से क्या निकलेगा? यह समय बताएगा।

नौकरी-पेशा : नौकरी करने वाले इनकम टैक्स रिबेट से सीधे प्रभावित होते हैं। तनख्वाह सीधे खाते में आती है। सरकारी नौकरी वालों का तो पहले टैक्स कट जाता है। ऐसे में रिबेट बढ़ाने की मांग रहती है, जिससे एक-डेढ़ माह की सेलरी बचा सकें। इनकम टैक्स रिबेट फिलहाल 2.5 लाख रुपये है। यानी 2.5 लाख रुपये तक की आय वाले को कोई टैक्स नहीं देना है। अब नौकरी-पेशा वालों की मांग टैक्स रिबेट बढ़ाने की है।

शिक्षक मनीष गौतम ने कहा कि रिबेट लिमिट बढ़ाकर कम से कम 8.5 लाख रुपये होनी चाहिए। महंगाई के कारण इतने में घर खर्च मुश्किल होता है। पिछले वर्ष पांच लाख तक की आय टैक्स फ्री करने की घोषणा की थी, लेकिन वह अभी लागू नहीं हुआ है। टैक्स स्लैब : अर्थ व्यवस्था की रफ्तार के लिए पिछले वर्ष सितंबर में वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट कर में कटौती की। कंपनियों की आय पर लगने वाला यह कर 30 फीसद था, जिसे घटाकर सेस व सरचार्ज के साथ 25.17 फीसद किया गया। इससे मार्केट में उछाल आया था। अर्थशास्त्री डॉ. एससी शर्मा ने बताया कि यह संकेत है कि केंद्र सरकार टैक्स स्लैब में भी राहत दे सकती है। सर्विस क्लास की मांग है कि यदि छूट नहीं बढ़ती है तो पांच से दस लाख तक के टैक्स रेट को 20 फीसद से घटा कर 10 फीसद किया जाए। इसके अलावा 10 से 25 लाख तक की आय का नया स्लैब तैयार कर टैक्स रेट 25 फीसद किया जाए। फिलहाल 10 लाख से ऊपर की इनकम पर टैक्स रेट 30 फीसद है। क्रय शक्ति बढ़ाने पर ध्यान

कुल मिलाकर मिडिल क्लास मांग कर रहा है कि सरकार का यह बजट केवल दिखने में लुभावना न हो, बल्कि वास्तव में राहत पहुंचाने वाला हो। नोटबंदी के बाद से परिस्थितियां लोगों की फेवर में नहीं हैं। बैंक कर्मी गौरव गुप्ता ने कहा कि सरकार को लोगों की क्रय शक्ति यानी पर्चेजिग पावर को बढ़ाने पर काम करना चाहिए। इससे लघु उद्योगों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नकदीकरण व डिमांड की कमी के कारण उद्योगों के साथ हर सेक्टर का बुरा हाल है।

एक्सपर्ट की राय

वर्तमान आर्थिक मंदी के दौर में सभी वर्गों को राहत की आवश्यकता है तथा बजट पर टकटकी लगाए हुए हैं। व्यक्तिगत कर ढांचे में कर की दरों में कटौती, निवेश आधारित छूट को प्रोत्साहन देने के साथ जीएसटी एवं आयकर के ढांचे का सरलीकरण होना चाहिए। होम लोन की ब्याज पर छूट सीमा दो लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जानी चाहिए। साथ ही होम लोन की ब्याज दर में भी कटौती करने की आवश्यकता है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके। चिकित्सकीय उपकरण, रसोई संबंधित वस्तु व दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर जीएसटी कम की जाए। इससे मध्यम व उससे निचले वर्ग को सीधे लाभ मिलेगा। टैक्स रिबेट में छूट की संभावना कम है। पिछले वर्ष ही घोषणा की गई थी। ऐसे में सरकार को टैक्स स्लैब में राहत देनी चाहिए।

-भूषण अग्रवाल, सीए

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