तीन पीढि़यों से कर रहे सरहदों की सुरक्षा

1971 के भारत-पाक युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध तक में रहा है एक परिवार का विशेष योगदान।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 01:16 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 01:16 AM (IST)
तीन पीढि़यों से कर रहे सरहदों की सुरक्षा
तीन पीढि़यों से कर रहे सरहदों की सुरक्षा

संसू, हाथरस : ताजनगरी और काका की नगरी के बीच सब्जियों के राजा आलू का बेल्ट सादाबाद रणबांकुरों की धरती भी है। यहां की मिट्टंी में पैदा हुए फौजियों ने 1971 में भारत पाक युद्ध से लेकर 1999 में कारगिल युद्ध तक में दुश्मनों के दांत खट्टे किए है। इस क्षेत्र के गांव कुरसंडा के जांबाजों की बहादुरी के किस्से गर्व से बखान किए जाते हैं। यहां हर परिवार का कोई न कोई सदस्य सेना में जरूर मिलेगा। कुछ ऐसे भी परिवार हैं कि जिनकी तीन पीढि़यां देश की सरहदों की रक्षा कर रही हैं। आज की कहानी एक ऐसे ही परिवार की गौरवगाथा है।

सादाबाद तहसील की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कुरसंडा है। इसमें अटाकी देवी का ऐतिहासिक मंदिर है। इसी ग्राम पंचायत का मजरा नगला ध्यान की बात कर रहे हैं। 1971 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था, तब यहां के सैनिक पाकिस्तान से मोर्चा ले रहे थे। उनकी बहादुरी पर आज भी फख्र किया जाता है।

कुरसंडा के गांव नगला ध्यान निवासी प्रताप सिंह के चार पुत्रों में से डंबर सिंह व हरी सिंह ने अपनी सेवा सेना में देने के बाद सेवानिवृत्ति प्राप्त कर ली। उसके बाद डंबर सिंह के पुत्र सुजान सिंह, हरि सिंह के पुत्र रघुवीर सिंह, दिनेश कुमार पुत्र रघुवीर सिंह, पवन कुमार, पुष्पेंद्र कुमार पुत्र सुजान सिंह, अनूप कुमार पुत्र उदय सिंह सेना में सेवाएं दीं। इसी परिवार के दिनेश कुमार, पवन कुमार तथा पुष्पेंद्र कुमार आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में सेना में रहकर देश की रक्षा में जुटे हुए हैं। माता अटाकी का आशीर्वाद

कुरसंडा क्षेत्र के हजारों जवान सेना में शामिल हैं, जिसमें से सैकड़ों लोगों ने समय-समय पर हुए युद्ध में भाग भी लिया है। इन जवानों पर गांव में स्थापित माता अटाकी का पूरा आशीर्वाद है। सेना में तैनात कोई भी जवान किसी भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त नहीं हुआ, बल्कि मां के आशीर्वाद से सभी सकुशल देश की सेवा कर सेवानिवृत्त होकर अपने घर लौटे। वर्जन

हम तो देश की सेवा के लिए पैदा हुए हैं। हमारा पूरा परिवार देश की सेवा कर रहा है और भविष्य में भी करते रहेंगे। हमारे लिए देश सेवा से बड़ी कोई चीज नहीं है।

रघुवीर सिंह, सेवानिवृत्त सैनिक देश की रक्षा से बड़ी कोई नौकरी नहीं है। मेरे परिवार के सदस्य कई पीढि़यों से इस नौकरी से जुड़े हैं। जब हम देश की सीमा पर खड़े होते हैं तो हमें बड़ा फख्र होता है।

दिनेश कुमार, सैनिक

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