दिव्यांग हैं तो क्या! हुनर से बन गईं 'अनमोल'

हाथरस (विनय चतुर्वेदी) : वो दिव्यांग जरूर है, लेकिन जज्बा, जिद व जुनून सक्षम लोगों से कहीं ज्यादा है। य

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Oct 2018 08:08 AM (IST) Updated:Tue, 30 Oct 2018 08:08 AM (IST)
दिव्यांग हैं तो क्या! हुनर से बन गईं 'अनमोल'
दिव्यांग हैं तो क्या! हुनर से बन गईं 'अनमोल'

हाथरस (विनय चतुर्वेदी) : वो दिव्यांग जरूर है, लेकिन जज्बा, जिद व जुनून सक्षम लोगों से कहीं ज्यादा है। यूं तो हर किसी व्यक्ति के पास कोई न कोई हुनर होता है, जो उसे दूसरों से अलग बनाता है। बस जरूरत होती है, उसे सही समय पर पहचानने की। फिर बड़ी बाधाएं भी ऊंचे रास्ते की सीढि़यां बन जाती हैं। सिकंदराराऊ की अनमोल वाष्र्णेय (24) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने 48 प्रतिशत दिव्याग होने के बावजूद अपने हुनर को हथियार बनाकर अलग पहचान बनाई। अनमोल ने पेंटिंग बनाने की दुनिया में तहलका मचा रखा है। देश में अब तक तीन दर्जन से अधिक पुरस्कार जीत चुकी हैं, जिनमें प्रसिद्ध चंडीगढ़ आरजेएफ ट्रॉफी और गाधी आर्ट गैलरी द्वारा दिया गया पुरस्कार शामिल है। उनकी दो पेटिंग्स हाल ही में लंदन की प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए गईं हैं।

अनमोल दिव्याग होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती। खाना खाने के लिए उन्हें सहारा लेना पड़ता है। इन सबके बाद भी अनमोल ने पेंटिंग के साथ अपनी शिक्षा को भी जारी रखा है और वह एमएससी कर चुकी है और बीटीसी की ट्रेनिंग ले चुकी हैं। यह सब करना उनके लिए सपने जैसा था। लेकिन हौसला ऊंचा होने के कारण वह यह सब कर पाई। संक्षिप्त परिचय

अनमोल वाष्र्णेय सिकंदराराऊ के मोहल्ला नौरंगाबाद पश्चिमी निवासी शिक्षक संजय वाष्र्णेय की पुत्री हैं। उनकी मा एक ग्रहणी हैं। अनमोल जन्म से दिव्यांग नहीं थीं। चौथी कक्षा में पढ़ने के दौरान गठिया बाई रोग हुआ, जिसके बाद हाथ-पैर ने काम करना कम कर दिया और 48 प्रतिशत दिव्याग हो गईं।

यहा से मिली प्रेरणा

शुरुआत में अनमोल अखबार और मैग्जीन में बड़े-बड़े आर्टिस्ट की पेटिंग्स देखतीं और उन्हें बनाने की कोशिश करती थीं। धीरे-धीरे उनकी पेटिंग्स बनाने की कला विकसित होती गई। अब वह देश के खास कलाकारों में पहचान रखती हैं। छोटी बहन का साथ

घर में बाकी लोगों के पास समय नहीं होता था तो अनमोल को जहा भी आना जाना होता, छोटी बहन लविका वाष्र्णेय को साथ ले जाती। अब तक मिले पुरस्कार

सुपर एचीवर अवार्ड 2018, दिव्याग रत्‍‌न सम्मान, चौधरी आर्ट ट्रस्ट अवार्ड, आरजेएफ इंटरनेशनल अवॉर्ड, कोबरा आर्ट जोन 2018 सिल्वर मेडल, नटराज आर्ट जोन गोल्ड मेडल, चंडीगढ़ आर्ट फेयर मास्टर क्लास, इंटरनेशनल पेंटिंग सिम्पोजियम, पेंट फॉर, लव व‌र्ल्ड बिगेस्ट पेटिंग वर्क शॉप, कलाकार फाउंडेशन गिनीज व‌र्ल्ड रिकॉर्ड, रास रंग गोल्ड मेडल 2016, एकेडमी ऑफ आर्ट यूनिवर्स अवॉर्ड। शिक्षा को भी बढ़ाया आगे

कला के साथ ही अनमोल ने अपनी पढाई भी जारी रखी। बीएससी के बाद एमएससी की पढ़ाई 2018 में ही पूरी की। वर्ष 2017 में डाइट से बीटीसी कोर्स पूरा किया तो कॉरेस्पॉन्डेंस से बीए उर्दू और बीए योगा भी पूरा किया। दिव्यागों के हक को लड़ाई भी

अनमोल दिव्याग संगठन की जिलाध्यक्ष हैं। उन्होंने दिव्यागों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। वह अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत रहती हैं। उनका कहना है कि लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयास करने चाहिए। बहुत संभावनाऐं हैं। लड़कियां कहीं भी लड़कों से पीछे नहीं हैं। दिव्याग होने पर कोई दुख नहीं है। अपने सपने पूरे करने के लिए आज भी प्रयास जारी हैं।

-अनमोल वाष्र्णेय

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