आखिरी दिन लगा अफवाहों पर विराम
भाजपा और बसपा की सूची जारी होने के बाद थमा अफवाहों का दौर
जागरण संवाददाता, हाथरस : नामांकन के आखिरी दिन उन तमाम अफवाहों पर विराम लग गया जो कई दिन से चुनावी फिजा में तैर रही थीं। सबसे बड़ी अफवाह बसपा के पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय को लेकर थी। चुनावी मौसम में उनके बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने की अफवाह जोरों पर थी। रामवीर के प्रेसवार्ता कर अफवाहों का खंडन करने के बावजूद ये अफवाहें थमने का नाम नहीं ले रही थीं। इसके अलावा भाजपा प्रत्याशी को लेकर भी तमाम अफवाहें रहीं। सोमवार रात को कई लोगों ने अलग-अलग दावेदारों को भाजपा प्रत्याशी चुने जाने के पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट किए।
रामवीर उपाध्याय को लेकर अफवाहों का दौर तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपनी पत्नी पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय को फतेहपुर सीकरी से न लड़ाने का निर्णय लिया। पूर्व मंत्री के इस निर्णय के बाद अफवाह उड़ी कि रामवीर सीमा को अलीगढ़ से बसपा का टिकट दिलाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा की पहली सूची ने आधी अफवाहों की हवा निकाल दी। रही-सही अफवाहें उस समय दम तोड़ गईं जब बसपा ने पहली सूची जारी की। दोनों दलों की सूची जारी होने के बाद साफ हो गया कि सीमा उपाध्याय किसी भी दल से और कहीं से भी मैदान में नहीं हैं। मुकुल समर्थकों को भी लगा झटका
भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर अलीगढ़ से टिकट मांग रहे पूर्व एमएलसी मुकुल उपाध्याय को जोर का झटका दिया। सांसद सतीश गौतम पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा लड़ाने का फैसला किया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई मुकुल उपाध्याय ने कुछ समय पहले ही बसपा से नाता तोड़कर भाजपा से जोड़ा था। चुनाव से चंद रोज पहले मुकुल उपाध्याय ने हाथरस में प्रेसवार्ता कर अलीगढ़ से टिकट मांगने की बात भी कही थी। इस दौरान मुकुल उपाध्याय ने कहा था कि अलीगढ़ उनकी कर्मभूमि है। अलीगढ़ से उन्हें टिकट नहीं मिली तो वह कहीं और से चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुकुल उपाध्याय भी पहुंचे
राजवीर दिलेर को नामांकन कराने के लिए बाद में मुकुल उपाध्याय भी पहुंचे। हालांकि तब तक राजवीर नामांकन के लिए कलक्ट्रेट में प्रवेश कर चुके थे। इस दौरान मुकुल विधायकों के साथ वार्ता करते रहे।