हरि आइ हास्पिटल पर कोर्ट फिर गंभीर

जागरण संवाददाता, हाथरस : दम तोड़ चुके हरि आइ हास्पिटल में सांसें फूंकने के लिए संघर्ष

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Apr 2018 01:00 AM (IST) Updated:Sun, 08 Apr 2018 01:00 AM (IST)
हरि आइ हास्पिटल पर कोर्ट फिर गंभीर
हरि आइ हास्पिटल पर कोर्ट फिर गंभीर

जागरण संवाददाता, हाथरस : दम तोड़ चुके हरि आइ हास्पिटल में सांसें फूंकने के लिए संघर्ष कर रहे समाजसेवी मधुशंकर अग्रवाल के प्रयास रंग लाते नजर आ रहे हैं। अस्पताल के संचालन के लिए दो माह पूर्व हुए जिला जज के आदेश के अनुपालन में उन्होंने कोताही देखी तो प्रकीर्ण वाद दायर कर दिया। कार्यवाहक जिला जज ने इसे संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब कर ली। सरकारी वकील ने समय मांगा तो नौ अप्रैल की तारीख मुकर्रर कर दी। इस सबके चलते जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर व सीएमओ को अस्पताल के संचालन की दिशा में कार्यवाही तेज करने के निर्देश दिए हैं।

हरि हाई हास्पिटल की नींव वर्ष 1945 में रखी गई थी। अस्पताल पर काली छाया वर्ष 2000 के बाद पड़नी शुरू हुई। केस बिगड़ने के साथ संपत्ति भी खुर्द-बुर्द हुई। जागरूक लोगों की निगाहें पहुंचीं तो मामला वर्ष 2005 में कोर्ट में पहुंच गया। हरि आइ हास्पिटल को लेकर वर्तमान में सुíखयों में बने समाजसेवी मधुशंकर अग्रवाल ने इसे लेकर आवाज 18 जनवरी 2005 को बुलंद की और आज भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। जिला न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक पैरवी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इसी क्रम में वर्ष 2010 में कोर्ट के जरिए जिलाधिकारी इस अस्पताल के रिसीवर बने। अस्पताल संचालन के लिए ट्रस्ट के प्रभावी निष्पादन को लेकर जिलाधिकारी ने जिला जज की कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया। जिला जज ने दो माह पूर्व उसे स्वीकार करते हुए अस्पताल के हित में नए ट्रस्टियों की नियुक्ति के साथ ही संशोधित संविधान के उपबंधों के अधीन सभी शक्तियों के उपयोग की अनुमति जिलाधिकारी को दे दी। इसी के साथ अस्पताल संचालन के लिए समिति गठित करने के लिए भी कोर्ट ने गाइड लाइन दी। इसके बाद डीएम स्तर से जो प्रयास हुए उनसे लगा कि अस्पताल जल्द ही संचालित होगा, मगर अब जब ऐसा लगा कि कहीं मामला अटक रहा है तो मधुशंकर अग्रवाल फिर कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने जिला जज कोर्ट में दो अप्रैल को प्रकीर्ण वाद दायर कर दिया। इसमें उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जिलाधिकारी को अस्पताल संचालन के आदेश दिए थे, मगर अभी तक धरातल पर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जिससे लगे कि अस्पताल जल्द संचालित हो जाएगा। अस्पताल परिसर में गंदगी के साथ ही घास आदि उगी पड़ी है। बिजली कनेक्शन कटा पड़ा है। बि¨ल्डग जर्जर है तथा फर्नीचर भी टूटे हैं। कार्यवाहक जिला जज डा. एके विश्वेष ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी से पांच अप्रैल को रिपोर्ट तलब की थी। इस तारीख को सरकारी वकील ने कोर्ट में मौजूद रहकर समय मांगा। इस पर नौ अप्रैल मुकर्रर कर दी गई। इधर, जिलाधिकारी डॉ.रमाशंकर मौर्य इसके बाद यकायक सक्रिय हुए हैं। उन्होंने एसडीएम सदर को अस्पताल ट्रस्ट की मी¨टग बुलाने के साथ ही साफ-सफाई कराने के निर्देश दिए हैं। उधर, सीएमओ को भी निर्देश जारी किए हैं कि वे यह तय करें कि हरि आइ हास्पिटल का संचालन किस तरह जल्द से जल्द किया जा सकता है।

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