खेतीबाड़ी में रम कर आत्मनिर्भर बन रहे प्रवासी

मजदूरों की प्रदेश में छूटी नौकरी तो गांव में संभाली खेती।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 11:16 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 11:16 PM (IST)
खेतीबाड़ी में रम कर आत्मनिर्भर बन रहे प्रवासी
खेतीबाड़ी में रम कर आत्मनिर्भर बन रहे प्रवासी

हरदोई : प्रवासी कहते हैं कि वक्त और कठिनाइयों से अच्छा गुरु कोई नहीं होता। जरूरत इससे सबक लेने की होती है। ऐसे ही कठिनाइयों से सबक लेकर कोरोना खतरे के साथ महानगरों से प्रवासी गांव लौट रहे हैं। इनके अर्थ व्यवस्था का पहिया अटक गया है। दो वक्त की रोजी-रोटी को लेकर घर लौटे प्रवासी मजदूरों के माथे पर चिता की लकीरें गहरा गई हैं, मगर अब गांव की माटी ही भाने लगी है। खेतीबाड़ी में रम कर अब यहीं आत्मनिर्भर बन कर परिवार के साथ रहना चाहते हैं। समय और हालात से समझौता कर विषम परिस्थितियों से लड़ने का मंत्र गांठ कर प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन में आत्मनिर्भर बनने का रास्ता ढूंढ लिया है। शहर में रहकर लाखों की कमाई करने वाले प्रवासी मजदूर किसी तरह घर पहुंच कर कोई खेती में रम गए हैं तो कोई सब्जी, धान और मूंगफली की खेती करने में जुट गए हैं। 04एचआरडी-014

शहर क्षेत्र के धन्नूपुरवा निवासी सचिन छह बरस पहले गांव छोड़कर दिल्ली कमाने के लिए गए थे। वहां फैक्ट्री में काम करते थे। हर रोज उनकी 600 से 700 रुपये आमदनी हो जाती थी। लाखों रुपये कमाए भी। लॉकडाउन के चलते जब उनका धंधा चौपट हो गया तो वह भाग कर किसी तरह अपने घर पहुंचे। इसके बाद चार बीघे खेत में सब्जी और धान की फसल लगा दी है। खेत में सब्जी की हरियाली में उनके सपनों की खुशहाली लहलहा रही है। सब्जी से रोजाना दो से तीन सौ रुपये मिल जाते हैं इसके अलावा धान की फसल की तैयारी भी कर रहे हैं। 04एचआरडी-015

सुरसा के पचकोहरा निवासी रवि कुमार पांच बरस पहले पानीपत में परिवार के साथ चले गए थे, जहां पर मजदूरी करता था और पांच सौ रुपये आमदनी हो जाती थी। जिससे परिवार का खर्चा और बच्चे की पढ़ाई हो रही थी। लॉकडाउन में काम बंद हो गया, किसी प्रकार गांव पहुंचे और क्वारंटाइन कर दिए गए। वहां से घर पहुंचे और खेती में लग गए। खेत में पहले पिपरमिट की और इसके बाद मूंगफली की बोआई की। खेत में लहलहाती फसल को देखकर उनमें गांव की माटी से आस जगी है। उनका कहना है कि परदेस से अपने वतन की सूखी रोटी ही भली है। अब हम गांव में ही रहकर खेती के साथ अन्य कारोबार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मंत्र का सपना साकार करेंगे।

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