अव्यवस्था के बीच जुगाड़ से शुरू हुईं परीक्षा
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वहरदोई: परिषदीय विद्यालयों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर तो जोर दिया जा रहा है, लेकिन परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। शनिवार से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हुईं। न तो उत्तर पुस्तिकाओं के लिए पैसा भेजा गया था, न पर्याप्त प्रश्न पत्रों का इंतजाम हो सका। कुछ के पास प्रश्न पत्र पहुंचे तो कई विद्यालयों में जुगाड़ से काम चलाया गया। कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो अधिकांश में यही हुआ।
कक्षा एक से आठ तक की परीक्षा के लिए पैसे धनराशि दी जाती है। जिसमें प्राथमिक के प्रति बच्चा 10 रुपये और उच्च प्राथमिक के बच्चे के लिए 20 रुपये आते हैं। इस बार कोई धनराशि नहीं आई, सब जुगाड़ से काम चलाया गया। प्रश्न पत्र छपवाकर भेज दिए गए। विद्यालयों से उत्तर पुस्तिकाएं खरीदने की बात कही गई। बहुतों ने इंतजाम कर लिया लेकिन ऐसे काफी संख्या में विद्यालय थे, जहां अव्यवस्था के बीच परीक्षा शुरू हुई। पाली के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रश्न पत्र ही नहीं पहुंचे थे। 11 बजकर 37 मिनट पर पहुंचने पर प्रधानाध्यापिका कैशहां ने समझा कोई प्रश्न पत्र लेकर आया और बोली ले आए। जब पता चला तो बताया कि क्या करें। जो है उससे परीक्षा करा रही हैं। भरखनी के प्राथमिक विद्यालय सुल्तानपुर में कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चे एक ही कमरे में जमीन पर बैठ कर परीक्षा दे रहे थे। 97 छात्रों के सापेक्ष कुल 35 बच्चे उपस्थित थे। कौशलेंद्र कुमार और अमृतलाल उपस्थित थे सहायक अध्यापक सत्य प्रकाश कहीं गए हुए थे।
प्राथमिक विद्यालय जलपापुर में कुल छात्र संख्या 158 के सापेक्ष करीब 55 छात्र उपस्थित थे बच्चे एक साथ बैठकर झुंड बना कर नकल कर रहे थे।जैसे ही फ्लैस चमका तुरंत ही अध्यापकों ने बच्चों को लाइन से बैठाना शुरू कर दिया। पूर्व माध्यमिक विद्यालय जलपापुर में कुल छात्र 139 हैं। इंचार्ज अध्यापक राजू पाठक ने बताया कि 110 बच्चे उपस्थित है। कोथावां विकास खंड के भी कई विद्यालयों में ऐसा ही मिला। यह तो सिर्फ समझाने के लिए है। अधिकांश विद्यालयों का यही हाल है और न कोई देखने वाला न कोई सुनने वाला।