मात्र एक रुपये में होगा मरीजों का डायलिसिस

किडनी रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। जनपद में दस्तोई रोड स्थित निर्माणाधीन जिला अस्पताल और पिलखुवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नवंबर माह में डायलिसिस यूनिट की सौगात मिल जाएगी। इससे किडनी रोगियों को डायलिसिस कराने के लिए दिल्ली गाजियाबाद या नोएडा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही मरीजों को निजी अस्पताल या डायलिसिस सेंटर पर जाकर हजारों रुपये खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे। इन अस्पतालों में मरीजों को यह सुविधा मात्र एक

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 05:31 PM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 06:19 AM (IST)
मात्र एक रुपये में होगा मरीजों का डायलिसिस
मात्र एक रुपये में होगा मरीजों का डायलिसिस

मुकुल मिश्रा, हापुड़:

किडनी रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। जनपद में दस्तोई रोड स्थित निर्माणाधीन जिला अस्पताल और पिलखुवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नवंबर माह में डायलिसिस यूनिट की सौगात मिल जाएगी। इससे किडनी रोगियों को डायलिसिस कराने के लिए दिल्ली, गाजियाबाद या नोएडा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही मरीजों को निजी अस्पताल या डायलिसिस सेंटर पर जाकर हजारों रुपये खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे। इन अस्पतालों में मरीजों को यह सुविधा मात्र एक रुपये में उपलब्ध कराई जाएगी।

जिले में करीब 50 से 70 किडनी रोगियों को प्रतिदिन डायलिसिस कराने के लिए जनपद से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें परेशान होना पड़ता है। मरीजों की परेशानियों को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजवीर सिंह ने शासन से डायलिसिस यूनिट लगाने की मांग की थी। शासन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत यूनिट लगाने के लिए मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने प्रदेश के जनपदों में तीन चरणों में यूनिट लगानी की शुरूआत की थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने पहले चरण में 18 जनपदों में यूनिट लगाने का लक्ष्य पूरा कर लिया है। अब दूसरे चरणों में भी 18 जनपदों में डायलिसिस यूनिट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य में हापुड़ और पिलखुवा के नाम पर भी मोहर लगाई जा चुकी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जनपद के निर्माणाधीन अस्पताल और पिलखुवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नवंबर तक डायलिसिस यूनिट लगवा दी जाएगी। हापुड़ के साथ-साथ गाजियाबाद, अमरोहा, मुजफ्फरनगर में भी यह यूनिट लगवाई जाएगी। यूनिट स्थापित होते ही जनपद के मरीजों को होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। पिलखुवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डायलिसिस यूनिट लगवाने के लिए बिल्डिंग सहित बिजली तक का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन निर्माणाधीन जिला अस्पताल में इसका कार्य जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

किडनी के कुछ गंभीर रोगियों को प्रतिदिन भी डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है। लेकिन जिले स्तर पर डायलिसिस की व्यवस्था न होने के कारण रोगियों को परेशान होना पड़ता है। इस प्रकार के मरीजों को अपने परिजन के साथ दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत अन्य बड़े शहरों में भटकना पड़ता है। साथ ही उन्हें एक बार डायलिसिस कराने के लिए पांच से दस हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। नवंबर में डायलिसिस यूनिट की स्थापना से निश्चित ही किडनी के रोगियों को राहत मिलेगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत लगाए जाने वाली यूनिट में मरीजों को मात्र एक रुपये में डायलिसिस हो सकेगी। निर्माणाधीन जिला अस्पताल में यूनिट की शुरुआत 10 बेड से की गई है। कुछ समय बाद इसका विस्तार भी किया जाए।

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30 यूनिट की होगी क्षमता

डायलिसिस यूनिट में फिलहाल 10 बेड की सुविधा मिलेगी। कुछ समय बाद इसमें 30 बेड की क्षमता की जाएगी। तब तीन शिफ्ट में मरीजों को सुविधा मिल सकेगी। यूनिट में ही एक सीरो पॉजिटिव केबिन, आरओ प्लांट, क्लेव मिक्सिग, डायलिजर री-प्रोसेसिग कक्ष, 6 टेक्नीशियन, चार नर्स व दो वार्ड ब्वॉय की सुविधाएं मिलेंगी।

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एमरजेंसी में 24 घंटे मिलेगी सुविधा

डायलिसिस कराने के लिए मरीज को पर्ची काउंटर पर इसके लिए पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद चिकित्सकों द्वारा जांच की जाएगी। उसके मुताबिक मरीज को तिथि दी जाएगी। एक मरीज का डायलिसिस करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। प्रतिदिन 10 से 12 मरीजों का डायलिसिस हो सकेगा। इमरजेंसी में तत्काल यह सुविधा 24 घंटे मुहैया कराई जाएगी।

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कब पड़ती है डायलेसिस की जरूरत

- गुर्दे की समस्या के कारण शरीर में पानी एकत्र होने लगे अर्थात फ्लूड ओवरलोड की समस्या हो जाए तो पहले दवा देकर देखा जाता है। राहत नहीं मिलने पर डायलेसिस कराना पड़ता है।

- शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ जाए और दिल की धड़कनें अनियमित हो जाएं तो अलग-अलग तरह की दवाएं दी जाती हैं। दवाओं का असर न दिखे तो डायलिसिस की सलाह दी जाती है।

- रेजिस्टेंस मेटाबॉलिक एसिडोसिस की वजह से एक्यूट रिनल फेल्योर का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इस रोग से शरीर में एसिड की मात्रा अचानक बढ़ जाती है। शुरू में सोडाबाइकार्ब जैसी दवाओं से नियंत्रण की कोशिश की जाती है, राहत न मिलने पर डायलेसिस कराना पड़ता है।

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क्या कहते हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी

शासन से मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के जनपदों में यूनिट लगाई जा रही है। यह कार्य मिशन तीन चरणों में कर रहा है। प्रथम चरण में सभी यूनिट लगा दी गई हैं। दूसरे चरण में 18 डायलिसिस यूनिट लगाई जानी है। इसमें हापुड़ और पिलखुवा का नाम भी शामिल किया गया है। नवंबर में यूनिट लगा दी जाएगी। इसमें मरीजों की जांच, उपचार और दवाई मात्र एक रुपये में मिलेगी।

-- डा. राजवीर सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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