किसानों ने तहसील में किया हंगामा
संवाद सहयोगी, राठ : सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी किसानों की फसलों को तबाह करने व
संवाद सहयोगी, राठ : सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी किसानों की फसलों को तबाह करने वाले अन्ना मवेशियों पर रोक नहीं लग पा रही है। सरसई गांव में एक सैकड़ा किसान बुधवार को तहसील परिसर में पहुंच हंगामा करते हुए शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अन्ना मवेशियों से राहत दिलाए जाने की मांग की।
बिजली, पानी और खाद के बाद अब किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी अन्ना मवेशियों के कारण हो रही है। ठंड के प्रकोप के बाद भी किसान खेतों पर रातभर जागते हुए अन्ना मवेशियों से फसलों की रखवाली करता है। लेकिन जरा सी आंख चूकी की अन्ना मवेशियों का झुंड खेत में घुस जाता है कि सारी फसल उजाड़कर ही बाहर निकलता है। किसान अन्ना मवेशियों से निजात के लिए शासन प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि जटिल समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। बुधवार को क्षेत्र के सरसई गांव के एक सैकड़ा किसान तहसील पहुंचे और शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए गंभीर समस्या का हल करने की मांग की। गांव के दिनेश मिश्रा, अनीस त्रिपाठी, शैलेन्द्र कुमार, नीरज कुमार, रामरतन, हिन्दूपत राजपूत, निरंजन, मंगल राजपूत, शान्ति स्वरूप, अमलेश, शान्ति स्वरूप, राजेन्द्र, राम किशन आदि किसानों ने बताया कि अन्ना मवेशियों से सुरक्षा कराई जाए अन्य गांव वाले अन्ना जानवरों से छोड़ जाते हैं और जानवरों के झुंड खेतों में घुसकर फसलों का सफाया करके ही बाहर निकलते हैं। एसडीएम ने कहा कि समस्या गंभीर है इसका हल शीघ्र ही निकाला जाएगा। सरसई गांव के किसान ही नही सैदपुर, कैंथा, नौरंगा, मचहरी, अमरपुरा, कुल्हैंडा, सदर, नौहाइ्र, धमना, टिकरिया सहित तमाम गांव के किसान अन्न मवेशियों से त्रस्त है।
निजी तौर पर ही निकाल सकता हल
खेतों में घुसकर फसलों को तबाह करने वाले अन्ना मवेशियों के लिए शासन प्रशासन कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है। हर बार किसानों को आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है गत दो माह पहले हरी चरन राजपूत ने अन्ना मवेशियों से किसानों को राहत देने की मांग को लेकर तहसील गेट पर धरना प्रदर्शन किया था लेकिन प्रशासन ने आश्वासन देकर धरना प्रदर्शन तुड़वाया और टरका दिया। जराखर गांव में किसानों की फसलों को बचाने के लिए कमलेश ने निजी तौर पर गौशाला खोली। जिसके कई सैकड़ों अन्ना मवेशियों से किसानों को राहत मिली है। कमलेश जराखर ने कहा कि यदि प्रत्येक किसान एक एक ही अन्ना मवेशी को बांध ले तो शायद समस्या का हल हो सकता है।