गोरखपुर विश्वविद्यालय ने मनमाने ढंग से खर्च किए पौने तीन करोड़ रुपये, सरकार ने मांगा जवाब

गोरखपुर विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर करीब पौने तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। वर्ष 2011-12 की ऑडिट में स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने तमाम खर्चों पर सवाल उठाए हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 12:04 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 09:42 AM (IST)
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने मनमाने ढंग से खर्च किए पौने तीन करोड़ रुपये, सरकार ने मांगा जवाब
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने मनमाने ढंग से खर्च किए पौने तीन करोड़ रुपये, सरकार ने मांगा जवाब

गोरखपुर, क्षितिज पांडेय। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर करीब पौने तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं। वर्ष 2011-12 की ऑडिट में स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश ने तमाम खर्चों पर सवाल उठाए हैं और इन्हें अमान्य, नियमविरुद्ध तथा अनियमित करार दिया है। बीते वर्ष अक्टूबर में ही यह रिपोर्ट वित्त विभाग को सौंपते हुए शासन स्तर से आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था, जिस क्रम में अब उच्‍च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है।
ऑडिट के दौरान पाया गया कि वर्ष 2011-12 के दौरान, जबकि नए वाहनों की खरीद पर प्रतिबंध था, विश्वविद्यालय ने 29.21 लाख रुपये की गाडिय़ां खरीद लीं, यही नहीं करीब 58 लाख रुपये की शुल्क वापसी कर दी गई, जिसका कहीं कोई नियम ही नहीं था। लेखा परीक्षक ने अवकाश नकदीकरण, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के भुगतान के मद में हुए खर्चों पर भी सवाल उठाए हैं। बता दें कि 2011-12 में बेहिसाब खर्चों के लेकर खूब सवाल उठे थे, लेकिन तत्कालीन विवि प्रशासन ने उन आपत्तियों का संज्ञान नहीं लिया था।
हो रही है जांच
गोरखपुर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी वीरेंद्र चौबे ने कहा कि प्रदेश शासन का पत्र प्राप्त हुआ है। प्रकरण कई वर्ष पूर्व का है। ऑडिट में उठाई गईं आपत्तियों का अध्ययन किया जा रहा है। सम्यक विचारोपरांत आख्या दी जाएगी।
इन खर्चों पर उठाए हैं सवाल
- जुलाई 1991 में रोक के बावजूद दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की नियुक्ति कर 2,599,422 रुपये का भुगतान।
- विवि कर्मचारियों को त्योहार अग्रिम के लिए 8,152,285 रुपये का भुगतान।
- सितंबर 2008 में प्रतिबंध के बावजूद 2,921,311 रुपये का भुगतान।
- बिना प्रावधान 588,922 रुपये की शुल्क वापसी। 
- बगैर शासनादेश सेवानिवृत्त कर्मियों को अर्जित अवकाश के बदलते अवकाश नकदीकरण के मद में 2,842,050 रुपये का अधिक भुगतान।
- कई अलग-अलग मदों में 971,349 रुपये का भुगतान।
- एक प्रोफेसर को त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण कर 757,540 रुपये का भुगतान।
- एक प्रोफेसर व एक कर्मचारी की अनियमित नियुक्ति कर  तथा एक कर्मचारी को 7,297,892 रुपये का भुगतान।
- विवि कर्मचारियों को नैत्यक प्रकृति का कार्य होने पर भी मानदेय के रूप में 979,375 रुपये का भुगतान।
 

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