इस सरकारी स्कूल में पढ़ते सरकारी कर्मचारियों के बच्चे, यह है विशेषता

यह परिषदीय स्कूल है। इसमें पढ़ाने वाले शिक्षक खुद अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। कई अन्य सरकारी कर्मचारियों के बच्चे भी पढ़ रहे हैं।

By Edited By: Publish:Thu, 29 Nov 2018 09:35 AM (IST) Updated:Thu, 29 Nov 2018 09:35 AM (IST)
इस सरकारी स्कूल में पढ़ते सरकारी कर्मचारियों के बच्चे, यह है विशेषता
इस सरकारी स्कूल में पढ़ते सरकारी कर्मचारियों के बच्चे, यह है विशेषता
गोरखपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों का नाम आते ही सबके मस्तिष्क में यही विचार आता है कि वहां गरीब व असहाय अभिभावकों के ही बच्चे पढ़ने आते हैं, परंतु सिद्धार्थनगर जिले के भनवापुर विकास क्षेत्र के हसुडी औसानपुर स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर आम धारणा से उलट है।
यहां के ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने गुरुदक्षिणा के बदले विद्यालय को गोद लेकर यहां का भौतिक परिवेश बदल डाला। इससे शिक्षकों के हौंसले बुलंद हो गए और विद्यालय में बेहतर शैक्षिक माहौल स्थापित हो गया है। स्थिति यह है कि विद्यालय में कार्यरत शिक्षक तो अपने बच्चों को उसी विद्यालय में पढ़ाते ही हैं साथ में एएनएम व अन्य सरकारी कर्मियों के लगभग एक दर्जन बच्चे न सिर्फ इन विद्यालयों में नामांकित हैं बल्कि प्रतिदिन विद्यालय भी आते हैं। प्राथमिक विद्यालय में 219 और पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 40 बच्चे नामांकित हैं।
शिक्षकों ने भी अपने बच्चों का नाम लिखाया सहायक अध्यापक मनोज कुमार की बच्ची आराध्या कक्षा एक व अभिलाषा कक्षा तीन में पढ़ती है, तो शिक्षक मनोज कुमार वरुण के पाल्य गरिमा कक्षा तीन व सौरभ कक्षा छह में नामांकित हैं। वरुण कहते हैं कि वह खुद विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं। बच्चों की उचित देखभाल भी हो जाती है। शिक्षामित्र त्रियुगी की बच्ची खुशी कक्षा तीन व शुभी कक्षा एक व शिक्षा मित्र राजेश यादव की पुत्री गरिमा कक्षा दो की छात्रा है। एएनएम द्रोपदी का बच्चा आकाश भी कक्षा तीन में पढ़ता है। द्रोपदी कहती हैं कि उनके बच्चे पहले सरस्वती शिशु मंदिर में थे, जो घर से चार किलोमीटर दूर पड़ता था।
डेढ़ सौ रुपये फीस और दो सौ रुपये गाड़ी का किराया लगता था, लेकिन अब डेढ़ किलोमीटर के अदंर की सरकारी स्कूल में अच्छी शिक्षा मिलने लगी है। अब बच्चा साइकिल से भी चला जाता है। बीडीसी फेरई यादव के पाल्य नितिन व साक्षी कक्षा पांच में नामांकित हैं। फेरई कहते हैं कि उनके बच्चे पिछले दो वर्ष से यहां नामांकित हैं। पढ़ाई के साथ अच्छा संस्कार भी मिल रहा है। बच्चों के स्वच्छता पर भी ध्यान दिया जाता है। नियमित बाल और नाखून की भी जांच होती है। यहां का अनुशासन सख्त और पढ़ाई अच्छी है। कांवेंट स्कूल को छोड़ा, अब इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे आशा बहू मिथिलेश त्रिपाठी का पुत्र शिवम कक्षा पांच तो अमन कक्षा सात का छात्र है।
यह दोनों बच्चे पहले कृष्णा मेमोरियल में पढ़ते थे। मिथिलेश बताती हैं कि दोनों बच्चों पर बाहर की पढ़ाई पर आठ से दस हजार रुपये प्रतिमाह खर्च होते थे, लेकिन अब इसकी ¨चता नहीं है। उससे अच्छी शिक्षा यहां के सरकारी स्कूल में मिलने लगा है। प्रधानाध्यापक रामयश निषाद का कहना है कि यहां पर शिक्षा का माहौल बदला है। अच्छी पढ़ाई के चलते आसपास के गांवों के बच्चे भी यहां पढ़ने आते हैं। ग्राम प्रधान की सोच और मेहनत से दूसरे भी सीख ले रहे हैं।
विद्यालय संवारने में खर्च कर दिया दस लाख
हसुड़ी औसानपुर के ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने कहा कि वह खुद यहां कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई किए हैं। स्कूल बदहाल था। प्रधान बनने के बाद मैंने इसे गोद ले लिया। अपनी पढ़ाई की गुरुदक्षिणा के रूप में निजी तौर पर दस लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। स्कूल का बाउंड्री कराया। छत की मरम्मत कराई। दीवारों का प्लास्टर रंगरोगन और कमरों में टाइल्स भी लगवा दिया। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था के सरकारी कर्मचारी भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाएं। इसको लेकर मैं लगातार लोगों को प्रेरित कर रहा हूं। कभी-कभार खुद भी बच्चों की क्लास ले लेता हूं। मेरी मेहनत तभी सार्थक होगी जब यहां के पढ़े बच्चे देश-दुनियां में अपना नाम रोशन करेंगे।
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