दुष्कर्मियों का हो सामाजिक बहिष्कार, बंद हो जाएगा बेटियों पर अत्याचार Gorakhpur News
संस्कारों का तेजी से लोप हो रहा है। सही संस्कार न देने के कारण समाज में दुष्कर्म की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। बचपन से ही माता-पिता को बेटी संग बेटे को भी संस्कार सिखाने होंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। संस्कारों का तेजी से लोप हो रहा है। सही संस्कार न देने के कारण समाज में दुष्कर्म की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। सिर्फ कानून बनाने से, धार्मिक अनुष्ठानों से इस पर प्रभावी रोक नहीं लग सकती है। इसके लिए बचपन से ही माता-पिता को बेटी संग बेटे को भी संस्कार सिखाने होंगे, तभी दुष्कर्म पर प्रभावी रोक लगेगी। ये बातें सोमवार को दैनिक जागरण के विचार विमर्श कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता अमिता शर्मा ने कही।
घटनाएं समाज के लिए घातक
उन्होंने कहा कि हैदराबाद व उन्नाव की घटना से मन द्रवित है। इस तरह की घटनाएं समाज के लिए घातक हैं। अमिता ने कहा कि लोगों के पास बच्चों को संस्कार देने के लिए वक्त नहीं है, लेकिन अब उनके लिए वक्त निकालना ही होगा। बेटी संग बेटे की भी निगरानी करनी होगी। दोनों को समझाना होगा कि दुष्कर्म की प्रवृत्ति कितनी घातक है और पकड़े जाने पर आजीवन कारावास ही नहीं फांसी भी हो सकती है। दुष्कर्म पर प्रभावी अंकुश के लिए अदालतों को भी दो से छह माह के भीतर फैसला करना चाहिए। देर से फैसला आने के कारण दुष्कर्मियों के हौसले बढ़ते हैं। वैसे सरकार भी शीघ्र फैसले के लिए संकल्पित दिख रही है और कम से कम समय में आरोपितों को सजा दिलाने के लिए अलग से फास्ट ट्रैक की स्थापना कराने को संकल्पित है। विशेष अदालतें इसमें और बेहतर काम कर सकती हैं। इस तरह की घटनाओं की रोज सुनवाई हो तो आरोपितों को शीघ्र सजा मिलेगी और जब कठोर सजा मिलेगी तो इस तरह की मानसिकता वालों में भय पैदा होगा। इस तरह की मानसिकता वाले लोग दुष्कर्म का साहस नहीं जुटा पाएंगे। प्रतिफल दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आएगी। इसी के साथ ही बेटियों की सुरक्षा की राह आसान हो जाएगी।
समाज को आगे आना होगा
अधिवक्ता अमिता ने कहा कि हम विदेश में नहीं भारत में रहते हैं। अपने देश में आदि काल से नारियों के सम्मान की परंपरा रही है। कहा भी जाता है कि जहां नारियों का सम्मान होता है, वहीं पर देवता निवास करते हैं। इसलिए हर बच्चे में नारी के प्रति सम्मान की भावना विकसित करनी ही होगी। समाज को भी दुष्कर्म पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आगे आना होगा। समाज के हर वर्ग के लोग एकजुट हो जाएं और दुष्कर्मियों का सामाजिक बहिष्कार करें। उनके साथ रिश्ते तोड़ें। जिस दिन से दुष्कर्मियों का सामाजिक बहिष्कार होने लगेगा, उसी दिन से दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आनी शुरू हो जाएगी। अपनी ही नहीं किसी की भी बेटी संकट में हो तो मदद के लिए हाथ बढ़ाएं और दुष्कर्मियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस-प्रशासन की मदद करें।