Indian Railways: सारे मानक पूरे, फ‍िर भी दुन‍िया के सबड़े बड़े प्‍लेटफार्म को नहीं म‍िली 'राजधानी'

Indian Railways पूर्वोत्तर रेलवे के 100 किमी प्रति घंटे वाले वाराणसी-बलिया-छपरा मार्ग पर वर्षों से राजधानी ट्रेन फर्राटा भर रही है। लेक‍िन पूर्वोत्तर रेलवे का ही मुख्य मार्ग बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा (लगभग 425 किमी) 110 से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार लायक बनने के बाद भी उपेक्षित है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 14 Aug 2021 11:11 AM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 09:51 AM (IST)
Indian Railways: सारे मानक पूरे, फ‍िर भी दुन‍िया के सबड़े बड़े प्‍लेटफार्म को नहीं म‍िली 'राजधानी'
सजधज कर तैयार गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्य मार्ग बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा (लगभग 425 किमी) 110 से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार लायक बनने के बाद भी उपेक्षित है। राजधानी जैसी ट्रेनों के चलने लायक बनने के बाद भी गोरखपुर-बस्ती मंडल के दो करोड़ से अधिक की आबादी रेल मंत्रालय का मुंह देख रही है। शायद, रामायण और बौद्ध सर्किट के प्रमुख केंद्र से वंदेभारत, शताब्दी और दूरंतो ही चलने लगे। लेकिन यात्री प्रधान होने के बाद भी रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे के इस महत्वपूर्ण मार्ग की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। जिस मार्ग के सिर्फ गोरखपुर जंक्शन से से सामान्य दिनों में लगभग डेढ लाख लोग आवागमन करते हैं।

110 से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार लायक बनने के बाद भी उपेक्षित है पूर्वोत्तर रेलवे का बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा मुख्य रेलमार्ग

रेलवे प्रशासन भले ही बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा मार्ग पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने की प्रक्रिया शुरू कर राजधानी जैसी ट्रेनों के लिए निर्धारित मानक को पूरा कर रहा है। लेकिन इस रूट पर वंदे भारत को भी हरी झंडी नहीं मिल पा रही। जबकि, 110 किमी प्रति घंटा वाले वाराणसी-प्रयागराज रेलमार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही है। पूर्वोत्तर रेलवे के ही 100 किमी प्रति घंटे वाले वाराणसी-बलिया-छपरा मार्ग पर वर्षों से राजधानी ट्रेन फर्राटा भर रही है। राजधानी ऐसे रूट पर चल रही है जिसपर आज तक डबल डिस्टेंट सिग्नल ही नहीं लगा। अब तो बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा रूट पर कार्य पूरा हो जाने के बाद ही वाराणसी-छपरा मार्ग पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगने की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।

रेल मंत्रालय का मुंह देख रही गोरखपुर-बस्ती मंडल की दो करोड़ से अधिक की आबादी

ऐसे में अब ढेरों सवाल भी उठने लगे हैं। जब बनारस से प्रयागराज तक वंदे भारत और वाराणसी से छपरा तक राजधानी चल सकती है तो बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा रेलमार्ग पर क्यों नहीं। दरअसल, उपेक्षा के चलते ही धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन से समृद्ध गुरु गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर आज तक यातायात की दृष्टि से मजबूत नहीं हो पाई। फिलहाल राजधानी समेत देश की प्रमुख ट्रेनों को चलाने की दैनिक जागरण की मुहिम हमें चाहिए राजधानी में पूर्वांचल के जनप्रतिनिधि और उद्यमी भी जुड़ गए हैं। दैनिक जागरण के साथ उनकी भी आवाज पूर्वांचल की जनता से जुड़ी समस्याओं के लिए उठने लगी है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन भी ट्रैक मजबूत कर रेलवे बोर्ड की हरी झंडी का इंतजार कर रहा है।

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