अब इन्हें ही मिलेंगी कोटे की दुकानें, पहले नहीं थी ऐसी व्यवस्था

अब सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान मृतक आश्रितों को ही मिलेंगी। बदनाम होने के चलते इनके लिए पहले इस तरह की व्यवस्था नहीं थी।

By Edited By: Publish:Wed, 27 Mar 2019 05:08 AM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2019 08:39 AM (IST)
अब इन्हें ही मिलेंगी कोटे की दुकानें, पहले नहीं थी ऐसी व्यवस्था
अब इन्हें ही मिलेंगी कोटे की दुकानें, पहले नहीं थी ऐसी व्यवस्था
गोरखपुर, जेएनएन। अब सस्ता गल्ला विक्रेता की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को राशन की दुकान का आवंटन हो सकेगा। कोटेदार के वारिस को नए सिरे से आवेदन कर दुकान संचालन संबंधी पात्रता पूरी करनी होगी। आश्रित के खाते में कम से कम 40 हजार रुपये होना आवश्यक है। आवेदक की आयु 21 वर्ष से अधिक हो और परिवार में किसी अन्य सदस्य के नाम कोई और दुकान का आवंटन न हो।
यह कमेटी करेगी निस्तारण ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम और शहरी क्षेत्र में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी अधिकतम दो माह में प्रकरण का निस्तारण करेगी। अभी तक आवंटन की यह प्रक्रिया बंद चल रही थी। कोटेदार इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट में लगाई थी गुहार : भागवत मिश्र जिला कोटेदार संघ के अध्यक्ष भागवत मिश्र ने बताया कि ऐसे राशन दुकानदारों के वारिस को मृतक आश्रित कोटे की दुकान का आवंटन नहीं होता था, जिनके खिलाफ गड़बड़ी की शिकायत हुआ करती थी। मृतक आश्रितों ने इसे अनुचित बताया।
इसके अलावा मृतक आश्रित कोटे के तहत राशन दुकान पाने से वंचित रहे कुछ वारिसों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। उल्लेखनीय है कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था। सरकारी सस्ते गल्ले के दुकानदारों के बारे में यह आम धारणा हैं कि वह उपभोक्ताओं के साथ नाइंसाफी करते हैं। बदनामी के कारण ही राशन दुकानदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं होगा। अब कोटेदार की मौत के बाद उसके आश्रित को कोटे की दुकान आवंटित कर दी जाएगी। इससे कोटे दुकानदारों में हर्ष है।
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