कुशीनगर की पवित्र मिट्टी को माथे पर लगा अपने देश रवाना हुईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न Gorakhpur News

कुशीनगर की तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा पर आईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न रविवार को पवित्र बुद्ध स्थली की मिट्टी को माथे पर लगा कर यहां से रवाना हो गईं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 04:15 PM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 04:15 PM (IST)
कुशीनगर की पवित्र मिट्टी को माथे पर लगा अपने देश रवाना हुईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न Gorakhpur News
कुशीनगर की पवित्र मिट्टी को माथे पर लगा अपने देश रवाना हुईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। तथागत की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर की तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा पर आईं थाई राजकुमारी चुलबोर्न रविवार को पवित्र बुद्ध स्थली की मिट्टी को माथे पर लगा कर यहां से रवाना हो गईं। सड़क मार्ग से वह गोरखपुर गईं, जहां से अपने विशेष विमान से वह अपने देश थाईलैंड जाएंगी।

कई कार्यक्रमों में हुईं शामिल

थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री में राजकुमारी के रवानगी के समय माहौल काफी भावुक रहा। अपने विशेष कक्ष से निकल कर कार में बैठने तक कतारबद्ध थाई बौद्ध भिक्षुओं तथा थाई व भारतीय लोगों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। राजकुमारी दीर्घायु हों, दीर्घायु हों.. गूंजा।

मोनास्ट्री के बाहर सड़क के दोनों किनारे खड़े स्कूली बच्चों ने भी राजकुमारी को विदाई दी। राजकुमारी शुक्रवार की शाम थाई मोनास्ट्री पहुंची थीं। शनिवार को महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर और रामाभार स्तूप का दर्शन व पूजन वंदन किया। इसी बीच राजकुमारी ने मोनास्ट्री में संचालित कुशीनगर क्लिनिक का निरीक्षण भी किया। राजकुमारी दोपहर बाद थाई मोनास्ट्री में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल हुईं।

बुद्ध की प्रतिमा देख भावविभोर हुईं

कुशीनगर स्थित पांचवीं सदी की बुद्ध की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा के समक्ष पहुंचते ही राजकुमारी भावविभोर हो उठीं। दोनों हाथ जोड़ कर वह कुछ समय तक प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक रहीं। उन्होंने प्रतिमा पर थाई राजपरिवार की ओर से खास चीवर ओढ़ाकर भारत व थाईलैंड की उन्नति, शांति व खुशहाली की कामना की। कुशीनगर भिक्षु संघ व उप्र पर्यटन विभाग की ओर से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें मंदिर में ले जाया गया। जहां थाई बौद्ध भिक्षुओं ने बुद्ध वंदना पश्चात चीवर चढ़ाया। बौद्ध भिक्षुओं ने राजकुमारी को बुद्ध प्रतिमा की खूबियां बताईं। तीन अलग-अलग कोणों से शयन, चिंतन व मुस्कुराती मुद्रा में नजर आने वाली प्रतिमा की खूबियों को राजकुमारी ने शिद्दत से महसूस किया।

मंदिर से उनका काफिला थाई क्लीनिक पहुंचा, जहां औपचारिक स्वागत के बाद उन्हें क्लीनिक की गतिविधियों की जानकारी दी गई। उन्होंने उसका निरीक्षण भी किया। यहां से वह बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल मुकुटबंधन चैत्य (रामाभार स्तूप) पहुंची और वहां पूजा की।

यह भी रहे उपस्थित

रविवार को रायल पैलेस से नियुक्त मोनास्ट्री के चीफ मांक व भारत और नेपाल के धम्मदूत डाॅ. पी. दमबोधिवोंग ने थाई रीति रिवाज से पूजन करा राजकुमारी की दीर्घायु के लिए भगवान बुद्ध से प्रार्थना की तत्पश्चात उन्हें यहां से विदाई दी। मांक इंचार्ज डाॅ. पी. खोमसान, पी. सोमपोंग, पी. सोंगक्रान, प्रोंग्रिथ श्रीस्मिथ, अनिल ढल्ल, रमिंदर सिंह सचदेव, सर्वजीत सिंह, सतविंदर सिंह, अंबिकेश त्रिपाठी, जितेंद्र राय, विवेक गोंड, ओमप्रकाश कुशवाहा, सूरज यादव आदि उपस्थित रहे।

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