राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा-सांसद और विधायकों का पेंशन बंद करे सरकार
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी की बैठक में सांसद और विधायकों का पेंशन बंद कर उन्हें आयकर के दायरे में लाने की मांग की गई। बैठक के बाद एक ज्ञापन दिया गया जिसे तत्काल पूरा करने की मांग की गई।
गोरखपुर, जेएनएन। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सरकार को चेतावनी दी है कि कर्मचारियों की मांगों को यदि शीघ्र पूरा नहीं किया गया जो आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। आंदोलन की तैयारी चल रही है। सभी विभगों में संपर्क किया जा रहा है। कर्मचारी आंदोलन के लिए तैयार भी हो रहे हैं। बैठक में सांसद और विधायकों का पेंशन बंद कर उन्हें आयकर के दायरे में लाने की मांग की गई। बैठक के बाद एक ज्ञापन दिया गया जिसे तत्काल पूरा करने की मांग की गई।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की हुई बैठक में परिषद के अध्यक्ष रूपेश श्रीवास्तव ने कहा कि कर्मचारियों की कोई मांग पूरा नहीं हो रहा है। आश्चर्यजनक बात यह है कि अधिकारी भी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। संगठन को ऐसा लग रहा है कि सब का साथ सबका विकास का नारा कर्मचारी समाज के लिए नहीं है। सरकार की इस रवैये से अब कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश एवं गुस्सा बढ़ रहा है। बैठक में कहा गया कि कर्मचारियों का बकाया महंगाई भत्ता जनवरी 2020, जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 का कुल एरियर देने का वादा करने के साथ ही दीनदयाल उपाधयाय कैशलेश स्वस्थ्य योजना का शुभारम्भ होना चाहिए। मुख्यमंत्री की के बाद भी इस पर कोई अमल नहीं हो रहा है। अधिकारियों ने इसे फेल कर दिया है। बैठक में ऐसे अधिकारियों को तत्काल दंडित करने की मांग की गई। बैठक में पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि नई पेंशन योजना की कोई गारंटी नही है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कर्मचारियों की कोई मांग पूरी नहीं हो पा रही हैं। बैठक में कहा गया कि महंगाई भत्ता, निलंबित भत्ता, वेतन विसंगतियाें को दूर करना होगा। आउटसोर्सिंग प्रथा बंद करते हुए कर्मचारियों की नियमित भर्ती करने, मानदेय पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमित तरीके से काम ले कर मानदेय सीधे खाते में भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा तयशुदा कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता देने, पुरानी सेवा जोड़ कर पेंशन आदि का लाभ एवं रिक्त पदों पर नियुक्तियां करना होगा। बैठक में निजीकरण का भी विरोध किया गया। रेल, बिजली, बैंक, रोडवेस आदि का निजीकरण न करने की मांग की गई। बैठक में कहा गा कि निजीकरण होने से रेल का किराया बढ़ेगा और बिजली आदि महंगी होगी। इसका सीधा लाभ कॉरपोरेट घरानो को होगा। इससे न केवल नौजवानो को नुकसान होगा, अपितु बेरोजगारी भी बढ़ेगी।
बैठक में कहा गया कि सांसद और विधायकों को पेंशन की सुविधा दी जा रही है। उनका वेतन बढ़ाया जा रहा है। सांसद और विधायकों का वेतन तत्काल बंद कर करना चाहिए। विधायक और सांसद बनने के बाद लोग अमीर हो जा रहे हैं। एक तरफ कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और दूसरी तरफ सांसदों और विधायकों के लिए सुविधाएं बढ़ाईं जा रही हैं। सांसद और विधायक तो आयकर भी नहीं देते हैं। बैठक में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले सांसदों और विधायको के लिए आयकर दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।
बैठक की अध्यचता रुपेश कुमार श्रीवास्तव ने की, संचलान अस्वनी कुमार श्रीवास्तव ने किया। बैठक में गोविन्द, ईं. श्रीराम सिंह यादव, ई. भानु प्रताप, ईं. अवधेश सिंह, ओमकार नाथ राय, फुलाई पासवान, अजय सोनकर, प्रभुदयाल, सत्य प्रकाश, अरुण, वरुण वैरागी आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।