राम मंदिर के साथ ही देश में आएगा रामराज्य: संजय दास

हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी संजय दास से ने कहा भूमि पूजन के लिए हनुमानजी की अनुमति लेने आए थे प्रधानमंत्री।

By Edited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 06:37 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 06:37 AM (IST)
राम मंदिर के साथ ही देश में आएगा रामराज्य: संजय दास
राम मंदिर के साथ ही देश में आएगा रामराज्य: संजय दास

संत कबीरनगर : हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी संजय दास का मानना है कि भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के साथ ही देश में राम राज्य की शुरुआत हो जाएगी। लगभग पांच सौ वर्षो से रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर संघर्षों का दौर चला है। लंबे संघर्ष के बाद ¨हदुओं के आराध्य को उनका स्थान मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को जब अयोध्या पहुंचकर भूमि पूजन किया तो लोग अभिभूत हो गए। हनुमानगढ़ी पर रामभक्त हनुमान से इजाजत लेने दिन में 12 बजे प्रधानमंत्री आए तो संत समाज अपने आराध्य के मंदिर का निर्माण आरंभ होने की हर बाधा दूर होने को लेकर खुशी से झूम उठा। संजय दास जागरण से बातचीत कर रहे थे। वह संत कबीरनगर जिले के मनियरा गांव के मूल निवासी हैं। वह बताते हैं कि आठ साल की आयु से ही भगवान की पूजा के लिए उनके पिता ने उन्हें और उनके छोटे भाई हेमंतदास को अयोध्या भेज दिया था। अयोध्या में पढ़ाई के साथ ही कुश्ती लड़ने के दौरान गुरु ज्ञानदास ने उन्हें 14 वर्ष की आयु में कुश्ती लड़ने के लिए दिल्ली भेजा। यहां उन्होंने 84 किग्रा भार वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीता। इसके बाद महंत ज्ञानदास ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया। वह 20 वर्षों से यहां पूजन अर्चन कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी यशस्वी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस कार्य को पूरा करके दिखाया। अब मंदिर निर्माण के साथ ही देश में रामराज्य आएगा। राम का रंग सब पर चढ़ा संजय दास ने कहा कि सुबह से ही अयोध्या में कण-कण पर राम का रंग चढ़ा रहा। जिसे भी देखिए वह पांच सौ वर्षों के कठिन संघर्षों के समय के समापन को लेकर आह्लादित रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने जब महाबली के सामने माथा टेककर प्रभुराम के मंदिर निर्माण के आरंभ की अनुमति मांगी तो लग रहा था कि साक्षात उनके सामने खड़े होकर हनुमानजी स्वस्ति कह रहे हैं। सफल हुई्र उनकी साधना संजय दास ने कहा कि उनकी आराधना सफल हुई। जो हर दिन पूजन के दौरान प्रभु से मर्यादा पुरुषोत्तम के भव्य मंदिर बनने की प्रार्थना करते थे। यह दृश्य देखकर उनका इहलोक और परलोक दोनों सुधर गया है।

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