Coronavirus: डाक्‍टर के पर्चा के बगैर प्राइवेट अस्‍पतालों में नहीं होगी कोरोना की जांच Gorakhpur News

प्राइवेट लैब में कोरोनावायरस की जांच कराने की फीस 4500 रुपये है। इसकी जांच के लिए चिकित्‍सक का पर्चा जरूरी है तभी जांच होगी। अन्‍यथा नहीं जांच होगी।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Mon, 11 May 2020 07:00 PM (IST) Updated:Mon, 11 May 2020 07:26 PM (IST)
Coronavirus: डाक्‍टर के पर्चा के बगैर प्राइवेट अस्‍पतालों में नहीं होगी कोरोना की जांच Gorakhpur News
Coronavirus: डाक्‍टर के पर्चा के बगैर प्राइवेट अस्‍पतालों में नहीं होगी कोरोना की जांच Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। निजी लैब में कोरोना वायरस की जांच कराने के लिए अब चिकित्सकों की सहमति जरूरी होगी। कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी निजी लैब में कोरोना की जांच नहीं करा सकेगा। इसे लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने नई गाइड लाइन जारी कर दी है।

कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये है शुल्‍क

कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी को देखते हुए आइसीएमआर ने प्रदेश के कुछ निजी पैथोलॉजी सेंटर को कोरोना जांच की अनुमति बीते दिन दी थी। गोरखपुर में इसके लिए दो कलेक्शन सेंटर बनाए गए थे, जहां से अबतक करीब 100 नमूनों की जांच हो चुकी है। सबकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। निजी लैब में जांच का शुल्क 4500 रुपये निर्धारित है। जांच के लिए किसी चिकित्सक की सलाह की बाध्यता नहीं थी। लेकिन, अब नई गाइड लाइन के मुताबिक निजी लैब डॉक्टरों की सलाह पर ही जांच कर सकेंगे। पैथकाइंड के राजीव मित्तल ने बताया कि अब डॉक्टर की ओर से कोरोना जांच के लिए लिखे जाने पर ही नमूना लिया जाएगा।

कोरोना जांच से पहले आइसीएमआर से जानकारी साझा करेंगे निजी लैब

कोरोना जांच से पहले निजी लैब को इसकी आइसीएमआर को देनी होगी। इसके लिए निजी लैब के टेक्निशियन की अलग से आइडी बनाई गई है। उसी आइडी के जरिए उन्हें मरीज का पूरा ब्योरा और रिपोर्ट से जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी। अब तक जांच के बाद रिपोर्ट सीधे सीएमओ के पास जाती थी। गोरखपुर में दो निजी लैब के 20 टेक्नीशियनों की आईडी बनाई गई है। आइसीएमआर जल्द एक एप लांच करेगा, उसी पर जांच से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी। आईसीएमआर के प्लानिंग और कोर्डिनेशन इंचार्ज डॉ. रजनीकांत ने बताया कि आइसीएमआर एक लॉगिन और पासवर्ड जारी करेगा।

स्वास्थ्य विभाग से खफा आइएमए जताएगा विरोध

निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा संचालित करने की अनुमति देकर जांच के नाम पर परेशान करने और ओपीडी के लिए अनुमति न देने से खफा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पदाधिकारियों और सदस्यों ने फोन पर सीएमओ डॉ.श्रीकांत तिवारी से विरोध दर्ज कराया है। इसके साथ ही उनसे मुलाकात कर अपना विरोध दर्ज कराने का निर्णय लिया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के रवैये से नाराज संचालक अपना अस्पताल बंद कर विरोध जताने की मुहिम शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

निजी अस्‍पताल में व्‍यवस्‍थाओं की जांच करने से है नाराजगी

स्वास्थ्य विभाग ने जिले के 110 निजी अस्पतालों को इमरजेंसी सेवा संचालित करने की मंजूरी दी है। इस क्रम में पांच एडिशनल सीएमओ की टीमें घूम-घूम कर अस्पतालों की जांच कर रही हैं। टीमों की जांच में 80 फीसद अस्पतालों में खामियां मिली हैं। छोटी-छोटी कमियों पर भी अस्पतालों को नोटिस दी जा रही है। इसको लेकर अस्पताल संचालकों में नाराजगी चरम पर है। वहीं बार-बार आवेदन के बावजूद ओपीडी के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है। आइएमए के अध्यक्ष डॉ.एससी कौशिक कहना है कि स्वास्थ्य विभाग का रवैया समझ से परे है। उनकी कार्रवाई से असंतोष बढ़ रहा है। सोमवार को इसे लेकर सीएमओ से विस्तृत चर्चा की जाएगी।

140 और अस्पतालों ने इमरजेंसी सेवा के लिए किया आवेदन

140 और निजी अस्पतालों ने स्वास्थ्य विभाग में इमरजेंसी सेवा की अनुमति के लिए आवेदन किया है। यदि उन्हें अनुमति मिल जाती है, तो अनुमति वाले अस्पतालों की संख्या 250 हो जाएगी। 110 अस्पतालों को इमरजेंसी सेवा संचालित करने की अनुमति पहले से मिली हुई है। जानकारी के मुताबिक इतने बड़े पैमाने पर अस्पतालों को इमरजेंसी चलाने की अनुमति देने को लेकर शासन, स्वास्थ्य विभाग पर नाराज है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग नए अस्पतालों को अनुमति देने से कतरा रहा है। 

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