अब और छोटी होगी पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड, समाएगा अधिक डाटा

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि ऐसे सफल शोध से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और विश्वविद्यालय का मान-सम्मान बढ़ता है। मैं शोधार्थी और शोध निर्देशक दोनों को इस बड़ी सफलता के लिए बधाई और शुभकामना देता हूं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 09 May 2022 04:27 PM (IST) Updated:Mon, 09 May 2022 04:27 PM (IST)
अब और छोटी होगी पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड, समाएगा अधिक डाटा
एमएमएमयूटी गोरखपुर के शोधार्थी डा. विमल ने बनाया रैम व रोम को छोटा करने वाला सीमास सर्किट।

डा. राकेश राय, गोरखपुर: नाखून के आकार वाले इलेक्ट्रानिक चिप आने वाले दिनों में और छोटे हो जाएंगे। इनका आकार घटेगा तो पेनड्राइव, हार्ड डिस्क, मेमोरी कार्ड जैसे इलेक्ट्रानिक गैजेट (संयत्र) भी छोटे हो जाएंगे। यह संभव होगा सीमास (कांप्लीमेंट्री मेटल आक्साइड सेमी कंडक्टर) नाम के उस नए सर्किट से जो न केवल रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) और रोम (रीड ओनली मेमोरी) का आकार घटाएगी बल्कि उसकी क्षमता भी बढ़ा देगी।

इस सर्किट को डिजाइन किया है, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के इलेक्ट्रानिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी डा. विमल कुमार मिश्रा ने। उनके नवोन्मेष को भारत सरकार की ओर से पेटेंट प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। प्रो. आरके चौहान के निर्देशन में हुए इस शोध के कई पत्रों का प्रकाशन अमेरिका, यूनाईटेड किंगडम व जर्मनी के आधा दर्जन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल में भी हो चुका है।

आइआइटी में सफल रहा परीक्षण: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर और आइआइटी इंदौर की प्रयोगशालाओं में इसका सफल परीक्षण हो चुका है। भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने भी एक वर्ष के परीक्षण के बाद इसकी नवीनता और उपयोगिता का प्रमाण पत्र जारी किया है।

चिप का आकार होगा कम: नोएडा के जेपी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत डा. विमल के मुताबिक नए सर्किट के प्रयोग से जो चिप बनेंगे, वह आकार में छोटे होंगे। इनका आकार छोटा होने से इलेक्ट्रानिक गैजेट में शक्ति का अपव्यय कम होगा, जिससे उनका कार्यकाल बढ़ जाएगा। सर्किट के प्रयोग से रैम व रोम की रफ्तार में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी, जिससे कम समय में हम ज्यादा डाटा प्राप्त कर सकेंगे। शोध के दौरान इस सर्किट की गति पीको साउंड में मिली है, जो सेकेंड का 12वां हिस्सा है।

लागत में भी होगी कमी: कम जगह में ज्यादा भंडारण क्षमता की वजह से इस सर्किट के प्रयोग से तैयार गैजेट की लागत में भी 20 से 30 प्रतिशत की कमी आएगी। डा. विमल का यह शोध इंटरनेशनल जर्नल आफ इलेक्ट्रानिक्स यूके, ईसीएस जर्नल आफ सालिड स्टेट साइंस एंड टेक्नोलाजी यूके, जर्नल आफ नैनो इलेक्ट्रानिक्स एंड आप्टो इलेक्ट्रानिक्स अमेरिका, सिलीकान जर्मनी आदि में प्रकाशित हुआ है।

शोध में अपनाई यह प्रक्रिया: डा. विमल के अनुसार उन्होंने अपने शोध में सेमी कंडक्टर वही इस्तेमाल किया, जो पहले से उपलब्ध है लेकिन मेमोरी डिजाइन की तकनीक अलग कर दी। उन्होंने एन-एमओएस (एन-कांप्लीमेंट्री मेटल आक्साइड सेमी कंडक्टर) ट्रांजिस्टर को पीएमओएस (प्री- कांप्लीमेंट्री मेटल आक्साइड सेमी कंडक्टर) ट्रांजिस्टर पर ओवरलैप कराया और सीमास (कांप्लीमेंट्री मेटल अक्साइड सेमी कंडक्टर) नाम का नया सर्किट डिजाइन कर दिया। इससे मेमोरी का क्षेत्रफल आधा हो गया, साथ ही रफ्तार भी बढ़ गई।

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