Corona effect: कंप्यूटर इंजीनियर के हाथ में अब कुदाल Gorakhpur News
मन और हुनर के मुताबिक काम न मिलने से इनके जैसे हजारों कुशल पेशेवरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। मोहम्मद नजीर पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर हैं। अब कुदाल चला रहे हैं।
राजेश्वर शुक्ला, गोरखपुर। मोहम्मद नजीर पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर हैं। हैदराबाद की निजी कंपनी में काम कर चुके इस नौजवान के जिन हाथों में कभी कंप्यूटर होता था, लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद आज उन्हीं ने कुदाल थाम रखी है। महीने में 30 हजार रुपये कमाने वाले नजीर अब दिनभर कड़ी मेहनत के बाद भी बमुश्किल 200 रुपये कमा पा रहे हैं। मन और हुनर के मुताबिक काम न मिलने से इनके जैसे हजारों कुशल पेशेवरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। अगर प्रशासन के साथ उद्यमी भी कदमताल मिलाकर गंभीरता से रोजगार मुहैया कराने की पहल करें तो यह नौजवान फिर से अपनी कामयाबी की उड़ान भर सकते हैं।
लाकडाउन में बाहर से आए लोगों को तुरंत रोजगार देने के लिए मनरेगा ही एक मात्र विकल्प था, क्योंकि उद्योग-व्यापार समेत अन्य प्रतिष्ठानों के बंद होने के कारण इन्हें कहीं और समायोजित नहीं किया जा सकता था। लेकिन उद्योग-धंधों को चलाने की अनुमति के बाद शासन ने कुशल, अद्र्ध कुशल और अकुशल श्रमिकों की अलग-अलग श्रेणियां बनाकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इसके बाद जिला प्रशासन ने अलग-अलग विभागों को श्रमिकों की कटेगरी के हिसाब से रोजगार उपलब्ध कराने जिम्मेदारी दे दी। अकुशल श्रमिकों के लिए तो मनरेगा अब भी बड़ा सहारा है लेकिन कुशल श्रमिकों के लिए मनरेगा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कुशल पेशेवरों का सर्वे कराने के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आइटीआइ व सेवायोजन विभाग को दी गई है। जनपद में आए 1.25 लाख से अधिक लोगों का भी प्रशासन ने सर्वे कराया था। इसमें 85 हजार लोगों की पहचान की गई है।
मंडल में 363962 प्रवासियों का हुआ आगमन
जनपद - कुल प्रवासी श्रमिक - कुशल श्रमिक - अकुशल श्रमिक
गोरखपुर - 130621 -- 85391 - 45230
महराजगंज - 101169 -- 18634 -- 82535
देवरिया - 77125 -- 55220 -- 21905
कुशीनगर - 55047 -- 31552 -- 23495
योग मंडल - 363962 -- 190797 -- 173165
अकुशल प्रवासी कामगारों को मनरेगा, कृषि, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा से तीन लाख लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है। कुशल प्रवासी कामगारों को श्रम, उद्योग, कौशल विकास व सेवायोजन विभागों से सेवामित्र एप के जरिये उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। कई उद्यमियों ने बताया है कि गैर प्रांतों में रहने वाले उनके श्रमिक अपने घरों को लौट गए हैं। ऐसे में मंडल के सभी उद्यमियों से अपील है कि वह स्थानीय लोगों को अपने यहां रोजगार दें। यदि उद्यमी चाहेंगे तो ऐसे कामगारों सरकारी खर्चे पर प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
जयंत नार्लिकर, मंडलायुक्त